Showing posts with label blogger. Show all posts
Showing posts with label blogger. Show all posts

Tuesday, October 6, 2020

आधी रात ( Midnight )

 


आधी रात 

..............................

इक गहरी खामोशी है 

सन्नाटो में डूबा है वक्त 

बेबस है सारे जीव जन्तु 

रोशनी की उम्मीद है, 

कुछ खुली होंगी आंखें 

मेरी तरह 

पल पल वक्त काटता होगा कोई 

इस इंतजार में होगा कि 

कब यह अंधेरी बादल हटे 

और गोधूलि चमक उठे ..!!


वहीं कुछ सपनों के मुसाफिर 

खोया होगा किसी सपने में 

लुसिड की दुनिया में 

लड़ रहा होगा किसी राक्षस से 

व्यस्त होगा खुद को 

या अपनों को बचाने में ..!!

...~...~...~...~...~...

अंधेरा हट जाएगा थोड़ी देर में 

बैठेगी रोशनी 

अपने आसन में 

चहल कूद फिर मच उठेगा 

धरती के आँगन में ..!!





                          © Subodh Rajak 

SUBODH HINDI COMPOSITIONS 


हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं! 

https://subodhrajak.blogspot.com


आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है!  पुनः पधारे, धन्यवाद  !!


Monday, October 5, 2020

Mushroom / मशरूम

 


मशरूम 

........................

मशरूम तेरी टोली 

है कहां बता ?

कब मिलेगा तू 

मिलने का समय बता !

सुना है बारिश 

होती है जिस रात को 

खिल जाते हो झाड़ियों में 

चुप चाप आधी रात को 

न होता कोई डाली तेरी 

न होता लता पता 

मशरूम तेरी टोली 

है कहां बता ?

कब मिलेगा तू 

मिलने का समय बता !


तू हरा होता नहीं 

पौधे वाली गुण 

तुझमें तो दिखता नहीं 

फिर भी तुझमें स्वाद भरा 

लोग तुम्हें 

बड़े चाव से खाता 

मशरूम तेरी टोली 

है कहां बता? 

कब मिलेगा तू 

मिलने का समय बता !!




                        © Subodh Rajak 

SUBODH HINDI COMPOSITIONS 


हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं! 

https://subodhrajak.blogspot.com


आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है!  पुनः पधारे, धन्यवाद  !!


Sunday, September 27, 2020

Hindi poem - Subah ki dhup / सुबह की धूप

 


सुबह की धूप 

........................

देखो तो जरा 

सुबह की धूप आई है 

सज धज के 

बन सवर के 

क्या खूब आई है 

देखो तो जरा 

सुबह की धूप आई है 


चिड़ियों वाली संगीत 

फूलों में बिखरा 

सुंदर रूप लाई है 

कलियों के बसेरों में 

तितलीयों के पंखो में 

रंगरस क्या खूब आई है 

देखो तो जरा 

सुबह की धूप आई है  ..!!


आसमां से उतरा हो जैसे 

खुशबू गुलाब का 

जैसे चाँद उतर आया हो 

रात भर थककर ,

जैसे पनघट से आई हो 

कोई परी नहाकर ..!!


निखरती रंग रूप लिए 

कोई अप्सरा उतर आई है 

देखो तो जरा 

सुबह की धूप आई है 

सज धज के 

बन सवर के 

क्या खूब आई है ,

देखो तो जरा 

सुबह की धूप आई है  ..!!





                         Subodh Rajak 

SUBODH HINDI COMPOSITIONS 


हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं! 

https://subodhrajak.blogspot.com


आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है!  पुनः पधारे, धन्यवाद  !!


Friday, September 25, 2020

Hindi poem - Dheemi awajen / धीमी आवाजें

 

Dhimi aawajen


धीमी आवाजें

...........................

वो सूनी अनसुनी 

दबी धीमी सी आवाजें

चलती चहल कूद में 

शोर करती भीड़ में 

वो मौन सरगोशी ,

कभी सुनाई पड़ती है 

अकेलेपन में 

विरानों में, शीत सुबह में 

पढ़ी जाती हो कहीं कोई 

नई नई नज़्में 

वो सुनी अनसुनी 

दबी धीमी सी आवाजें ..!!


किसी की आ:ह निकली होगी 

जोरो से चीखा होगा कोई 

बार बार कानों में गुंजती 

जैसे पर्वत पर 

टकराकर गुज़र आती है 

हमारी आवाजें 

धीरे धीरे कम होती 

सुनाई पड़ती है 

वो सुनी अनसुनी 

दबी धीमी सी आवाजें  ..!!






                              - सुबोध रजक  

SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं! 

https://subodhrajak.blogspot.com


धन्यवाद  !!


Saturday, September 19, 2020

Hindi poem - Nayee Sawera / नई सवेरा ( New Morning )

 


नई सवेरा 

.................................


उठ जा नई सवेरा है 

अब ये दिन तुम्हारा है 

तेरे जिद्द के आगे 

हर मुश्किल तो हारा है 

उठ जा नई सवेरा है 

अब ये दिन तुम्हारा है ..!


एक बड़ा तूफ़ान 

बाहर जो पसरा है 

तेरे इरादों के चट्टानों में 

टकराने से बिखरा है 

मन हर्षित हो जाए 

ऐसा कोई नज़ारा है 

उठ जा नई सवेरा है 

अब ये दिन तुम्हारा है ..!!


ये परिश्रम ना हो कम 

दिखने दो अंदर का दम 

अग्नि पुष्प ये अंदर का 

ह्रिदय में खिला तुम्हारा है 

उठ जा नई सवेरा है 

अब ये दिन तुम्हारा है ..!!!






                      © Subodh Rajak 

SUBODH HINDI COMPOSITIONS 


हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं! 

https://subodhrajak.blogspot.com


आप के आने से मेरा मनोबल बढ़ा है!  पुनः पधारे  ! धन्यवाद  !!


Sunday, September 13, 2020

Hindi poem - Khamoshi / ख़ामोशी

 


ख़ामोशी 
.................................

आज कल 
खामोश रहता हूँ 
उन महफिल में जहां 
बड़ा शोर होता है 
क्योंकि 
यहां कोई सुनने वाला नहीं 
बस आवाजें हैं 
अंदर
चीखती, चिल्लाती 
दर्द से तड़पती 
आत्माएं हैं 
बाहर 
तो बस मुस्कुराते 
नकली चेहरे हैं 

खामोश रहता हूँ 
उन दोस्तों के बीच 
जो आजकल 
कुछ बोलते नहीं 
कई राज 
छिपे रह जाते हैं 
जो कभी खुलते नहीं 

खामोश रहता हूँ 
उस बाजार में 
जहां कई तरह के सामान 
खरीदे और बेचे जाते हैं 
रिश्तों के तराजू में 
मतलब और फायदे 
तौले जाते हैं 

खामोश रहता हूँ 
उस घर में 
जहां आजकल 
कोई कुछ बोलता नहीं 
बस कुर्सी में बैठा रहता हूँ 
खामोशी को लिये 
और खामोशी को 
करीब से महसूस करता हूँ 
आज कल 
खामोश रहता हूँ 




                        © Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं! 

आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है!  पुनः पधारे!  धन्यवाद  !!

Sunday, September 6, 2020

Hindi poem - Nasha / नशा ( drugs )

 

Hindi poem nasha / drugs

Drugs / नशा 

....................................


कुछ लोग नशा लेते हैं ,

कुछ लोग मजा लेते हैं ..!


इन नशीली चीजों से 

किसका भला हुआ है 

राख भरी है अंदर 

हर कोई जला हुआ है 

अपने संग वो अपना 

घर भी जला लेते हैं 

कुछ लोग नशा लेते हैं 

कुछ लोग मजा लेते हैं 


मतलब से 

मतलब रखते हैं 

मतलब नहीं तो 

कोई मतलब नहीं रखता ,

क्या हो जाता 

अगर कोई 

ये ज़हर नहीं रखता ..!!


दुनिया से अलग होकर सभी 

खुद को भूला लेते हैं ,

कुछ लोग नशा लेते हैं 

कुछ लोग मजा लेते हैं  ..!!





                           © Subodh Rajak 

SUBODH HINDI COMPOSITIONS 


हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं! 

https://subodhrajak.blogspot.com


आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है!  पुनः पधारे  !

धन्यवाद  !!


Saturday, September 5, 2020

Hindi poem - Shikshak / शिक्षक ( teacher )

 

Hindi poem Shikshak

शिक्षक 

...........................


ईश्वर बता 

शिक्षक का स्थान कहां 

बिन गुरू जग में 

मेरी पहचान कहां ?


जीवन की 

इस भूल भूलईया में 

खो जाता हर कोई ,

मिलता अगर न

मार्गदर्शक कोई ..!!


न मिलता हमे 

जीवन सार्थक सारथी 

करता फिर अभिमान कहां 

ईश्वर बता 

शिक्षक का स्थान कहां 

बिन गुरू जग में 

मेरी पहचान कहां ?





                          © Subodh Rajak 

SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं! 

https://subodhrajak.blogspot.com


आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है! पुनः पधारे!  धन्यवाद  !!


Thursday, September 3, 2020

Hindi poem - Dincharya / दिनचर्या

 

Hindi poem Kuch Karo

दिनचर्या 

.................................


जब सुबह उठते ही हो 

तो थोड़ा खिड़की खोलो 

परदा हटाओ 

थोड़ा धूप लो 

विटामिन डी मिलेगा !

ब्रश करो मुंह धोवो 

नाश्ते में जरूर 

कुछ अच्छा मिलेगा !!

किन खयालों में रहते हो 

इतना खयालों में जीना 

अच्छी बात नहीं 

यूं पड़े पड़े समय बिताना 

अच्छी बात नहीं 

उठो दौड़ो तब तक ना रूको 

जब तक कुछ मिल न जाए 

पैर मारते रहो 

जब तक कुछ हिल न जाए 

बिना कुछ किए करता 

कोई मुलाकात नहीं 

वैसे भी हाथ पे हाथ धर के बैठ जाना 

अच्छी बात नहीं !!

जब इस दुनिया में आए हो 

तो थोड़ा परिश्रम करो 

पसीना बहावो फल मिलेगा 

आज नहीं तो कल मिलेगा 

मुंह फेर कर जाने वाले 

फिर मुस्कुराते हुए मिलेगा 

इस दुनिया के घर में 

हम सब मेहमान हैं

यहां सब को कुछ दिन रूकना है 

फिर क्यों आपस में रूठना है 

खुशीयां बांटो 

खुशीयां मिलेगा 

सब उपर वाले की देन है 

कौन भला 

क्या ठुकराएगा  !

ये दुनिया आईना है बाबू 

मुस्कुरा कर देखो 

तो जग मुस्कुराएगा  !!





                          © Subodh Rajak 

SUBODH HINDI COMPOSITIONS 


हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं! 

https://subodhrajak.blogspot.com


आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है! पुनः पधारे!  धन्यवाद !!


Tuesday, September 1, 2020

Hindi poem - Andhere me hun / अंधेरे में हूँ

 

Hindi poem - Andhere me hun

अंधेरे में हूँ 

..............................


कैसे देख पाओगे मुझे 

मैं अंधेरे में हूँ 

जूगनुओं की बस्ती में 

किसी पगडंडी में 

रात के गलियारे में हूँ !

इक सफर में 

मैं अकेला हूँ 

घनी रात में मंजिल 

कुछ साफ नहीं दिखता

किसी गहरी खाई के 

किनारे में हूँ 

मैं अंधेरे में हूँ !

उजाले की तलाश में 

भटकता ठोकर खाता 

उम्मीद की ज्योत जलाए 

न रूकता न थकता 

ठंड से कपकपाता 

घने कोहरे में हूँ 

मैं अंधेरे में हूँ ..!!





                        © Subodh Rajak 

SUBODH HINDI COMPOSITIONS 


हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं! 

https://subodhrajak.blogspot.com


आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है! पुनः पधारे! धन्यवाद!! 


Monday, August 31, 2020

Hindi poem - Gujarti Subah / गुज़रती सुबह

 

Hindi poem

गुज़रती सुबह 
.................................

आज फिर दिन गुज़रने लगा है ,
दर्श को तेरे मन तड़पने लगा है ..!

दिन ऐसे गुज़र जाता है 
जैसे हवा आता जाता है 
ठंड हवाओं की नमी से 
आंखों में पानी ठहरने लगा है 
दर्श को तेरे मन तड़पने लगा है 

हाल कुछ अपना अब खोने लगा है 
मेरी बैचेनी को देख 
मौसम भी बैचेन होने लगा है 
दर्श को तेरे मन तड़पने लगा है 

आज फिर दिन गुज़रने लगा है ,
दर्श को तेरे मन तड़पने लगा है ..!!

बात मुश्किल से होंटो पे आई है 
तेरे आने से सुबह की धूप आई है 
तेरी परछाई के संग मन चलने लगा है 
दर्श को तेरे मन तड़पने लगा है 

आज फिर दिन गुज़रने लगा है ,
दर्श को तेरे मन तड़पने लगा है  ..!!!





                           © Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 
हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं!! 

आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है ! पुनः पधारे!  धन्यवाद  !!



Friday, August 28, 2020

Hindi poem - Jivan parishram / जीवन परिश्रम

 

Hindi poem

जीवन परिश्रम 

.................................


जीवन परिश्रम 

कम न हो जाए 

दिन निकल गया 

कहीं शाम न हो जाए 

शुरू करो फिर कोशिश 

ज्यादा आराम न हो जाए 

जीवन परिश्रम 

कम न हो जाए ..!


ये श्रृंगार रस की कविताएं 

हल नहीं करती 

जीवन की बाधाएं 

बस कागज के दो टुकड़ों में 

गम बट न जाए 

जुनून मन का कहीं 

कम न हो जाए ..!!


लक्ष्य पाने का 

उम्मीद कहीं 

कम न हो जाए 

जीवन परिश्रम 

कम न हो जाए  ..!!!






                           © Subodh Rajak 

SUBODH HINDI COMPOSITIONS 


हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं! 

https://subodhrajak.blogspot.com


आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है!  पुनः पधारे!  धन्यवाद  !!


Monday, August 17, 2020

Hindi poem - Kuch aihsans / कुछ ऐहसास

Hindi poem

|| कुछ ऐहसास ||
.......................................

कुछ ऐहसास 
शब्दों से स्पष्ट नहीं होता 
जैसे भीगे हुए चेहरे में 
आंसू की पहचान नहीं होता 
सब कुछ छिपा लेना 
इतना आसान नहीं होता ,
छिप जाते हैं 
कुछ बोल लबों के 
हर बार मुस्कुराना 
इतना आसान नहीं होता !!

उम्मीद को हमने 
इस कदर जकड़ा है 
कि डूबती सांसों ने 
तिनका तिनका पकड़ा है 
पर कभी न कभी 
उम्मीद की पकड़ 
छुट जाता है ,
कांच हो या सपने 
मर्यादा की उंचाई से गिर कर 
टूट जाता है ..!!

जैसे ढेर रेत का 
मुट्ठी में नहीं समाता ,
कुछ ऐहसास 
शब्दों से स्पष्ट नहीं होता  ..!!


                                © Subodh Rajak 

 



SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं! 

https://subodhrajak.blogspot.com


आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है! पुनः पधारे! धन्यवाद!! 


Saturday, August 15, 2020

Phulon me khushbu mitti ka / फूलों में खुशबू मिट्टी का

 

Phulon me khushbu mitti ka

|| फूलों में खुशबू मिट्टी का ||
.............................................

सर उठा कर दूं सलामी, आज तिरंगा लहराया है ,
बिखरे फूलों में खुशबू, मिट्टी का मैंने पाया है  ..!!

आज लुटा दूं जान मैं अपनी 
मौका हमने पाया है ,
भारत माँ के चरणों पर 
स्वर्ग हमने पाया है  ..!!

प्रेम वतन का कण कण, मुझमें समाया है ,
बिखरे फूलों में खुशबू , मिट्टी का मैंने पाया है..!! 

उंची हिमालय की तरह 
विश्व में तेरी पहचान हो ,
निकले जो तेरी शान के ख़ातिर
पहले मेरा प्राण हो  ..!!

तेरी हवाओं में लहराना, मन को आज लुभाया है ,
बिखरे फूलों में खुशबू, मिट्टी का मैंने पाया है  ..!!

आज सजी है फूलों से 
माँ भारती का आँगन ,
कहीं लिखा है जय हिंद
कहीं  वंदे मातरम् ..!!

आज खुशी में मन बड़ा हर्षाया है ,
बिखरे फूलों में खुशबू, मिट्टी का मैंने पाया है..!! 


                             © Subodh Rajak 





SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं! 

आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है! पुनः पधारे! धन्यवाद!! 

Sunday, August 9, 2020

Hindi poem - Kabhi Kabhi Barish / कभी कभी बारिश

 

कभी कभी बारिश 


आजकल कभी कभी 

बारिश हो जाती है 

ऐसे मौसम में भीगने की 

ख्वाईश हो जाती है 


एक संगीत छिड़ जाती है 

जैसे सितार पर 

बूंदो की मधुर गीत को 

सुनने की 

ख़्वाहिश हो जाती है 

आजकल कभी कभी 

बारिश हो जाती है 


तलब है बुंदो को 

मेरे आंगन में गिरने की 


आ कर यहाँ 

एक सफर खत्म हो जाती है 

आज कल कभी कभी 

बारिश हो जाती है 



Subodh Rajak 

SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं! 

https://subodhrajak.blogspot.com


आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है! पुनः पधारे! धन्यवाद!! 


Saturday, August 1, 2020

Hindi poem - Lahu ur nabj / लहू उर नब्ज


Subodh hindi compositions


लहू उर नब्ज की 

शीशा टूट कर 
चुभा था अंदर 
वो आखरी 
टुकड़ा भी निकल गया ,
जख्म कुछ भर गए 
कुछ नासूर हो गए 
लहू उर नब्ज की 
आंखों से निकल गया  ..!!

लम्बे सफर में निकला हूँ 
पैरों में छाले पड़े हैं 
झुलसती धूप में 
चेहरे काले पड़े हैं ,
उम्मीद छाँव की 
हम कहां रखें 
पेड़ों की पत्तियाँ 
गिरे पड़े हैं  ..!!

जब खंजर 
दिल से निकला था 
फिर क्यों 
हाथों से फिसल गया 
लहू उर नब्ज की 
आंखों से निकल गया ...!!!





Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं! 

आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है! पुनः पधारे! धन्यवाद!! 

Sunday, July 26, 2020

Hindi poem - Kitabon ke panne / किताबों के पन्नें


Hindi poem


किताबों के पन्नें 

एक किताब की 
कई सारे पन्नों के बीच 
फस कर दबा हूँ 

बाहर के धूल धूप गरमी जाड़ा 
से हांलाकि सुरक्षित हूँ 
स्वर की चादर ओढ़े 
रद्दी में पड़ा एक संगीत हूँ 

इस आस में हूँ कि 
कोई तो किताब उठाए 
अपनी उंगलियों से दबाकर 
पन्नों को हवा में दौड़ाए 

आंखों में एक 
बूंद की तरह अटका हूँ 
एक किताब की 
कई सारे पन्नों के बीच 
फस कर दबा हूँ  ..!!






Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं!  

आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है! पुनः पधारे! धन्यवाद!! 

Hindi poem - Chinty / चींटी ( Ant )


Hindi poem

चींटी 

विशाल पत्तियाँ लिये खड़ा है 
पौधों को क्या नाप पाएगा ,
हिरदय विशाल है चींटी का 
शिखर में चढ़ मुस्काएगा ..!

छेड़ा है तेज हवाओं ने 
पर उसे क्या रोक पाएगा ,
हिरदय विशाल है चींटी का 
शिखर में चढ़ मुस्काएगा ..!!

कुछ चट्टानें फिसलन भरी है 
पर कितनी बार वो फिसलेगा ,
हिरदय विशाल है चींटी का 
शिखर में चढ़ मुस्काएगा ..!!

एक छोटा नाला जब 
विशाल नदी बन जाएगा ,
उसे डुबाने धीरे धीरे 
कदम वो आगे बढ़ाएगा ..!!

देख नदी को वह 
सांहस क्या बंध पाएगा ,
विशाल हिरदय है चींटी का 
शिखर में चढ़ मुस्काएगा  ..!!!
 






Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं! 

आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है! पुनः पधारे! धन्यवाद!! 

Hindi poem - Aaina / आईना ( Mirror )



आईना 

बना कर दिल जमाने ने 
इस कदर मुझे तोड़ा है ,
कि टुकड़ा टुकड़ा हिस्सा 
जमीं पे गिरा है  ..!!

कितनों ने अपना चेहरा देखा 
किसी ने आंसू देखे 
किसी ने मुस्कान देखा 
किसी ने घाव देखे 
किसी ने जख्म गहरा देखा 
कुछ इस कदर सब ने 
अपना चेहरा देखा  ..!!

रोशनी में रहते हैं लोग 
पर जहन में अंधेरा है 
बना कर दिल जमाने ने 
इस कदर मुझे तोड़ा है ,
कि टुकड़ा टुकड़ा हिस्सा 
जमीं पे गिरा है  ..!!

टूटा हूँ गिर कर 
किसी के हाथों से छूट कर 
ज़िन्दगी ने ही ले गया 
मेरी ज़िन्दगी लूट कर 

कल तक घर की शोभा थी 
आज किसी ने कुड़े में छोड़ा है 
बना कर दिल जमाने ने 
इस कदर मुझे तोड़ा है ,
कि टुकड़ा टुकड़ा हिस्सा 
जमीं पे गिरा है  ..!!!






Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं! 

आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है!  पुनः पधारे! 
धन्यवाद!! 




Tuesday, July 21, 2020

Hindi poem - Lata aur barish / लता और बारिश


Hindi poem Lata aur barish

लता और बारिश 

सुखी डाली में लता 
ऐसे लिपटी है ,
प्रेम की बारिश में छटा 
जैसे सिमटी है ..!

इन पत्तों में कुछ बूंदे पड़ी है 
आँखों में इनके नमीं तो नहीं है ,
खामोशी की फितरत में छिपी 
नासूर कोई जख़्म तो नहीं है ..!!

तूफां में डाली गिरे जहां पर 
पुष्प लता के गिरे वहां पर ,
सींच गया मन वेदना से 
नीर नयन के गिरे जहां पर ..!!

गिरे पुष्प में लिपटा 
ऐसे माटी है ,
प्रेम की बारिश में छटा 
जैसे सिमटी है ..!!!





Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं! 

आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है! पुनः पधारे! धन्यवाद!! 


Hindi poem - Aatma / आत्मा

  आत्मा   =========== रूकी हवा में  गहरी खामोशी  काली रात में  टहल रहा है कोई  पैरों के निशां नहीं है उसके हवा रोशनी वस्तु चींजे  सब पार हो ...