किताबों के पन्नें
एक किताब की
कई सारे पन्नों के बीच
फस कर दबा हूँ
बाहर के धूल धूप गरमी जाड़ा
से हांलाकि सुरक्षित हूँ
स्वर की चादर ओढ़े
रद्दी में पड़ा एक संगीत हूँ
इस आस में हूँ कि
कोई तो किताब उठाए
अपनी उंगलियों से दबाकर
पन्नों को हवा में दौड़ाए
आंखों में एक
बूंद की तरह अटका हूँ
एक किताब की
कई सारे पन्नों के बीच
फस कर दबा हूँ ..!!
Subodh Rajak
SUBODH HINDI COMPOSITIONS
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आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है! पुनः पधारे! धन्यवाद!!
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