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Monday, June 8, 2020

Hindi poem - woh kahin mila nahin / वोह कहीं मिला नहीं

Woh kahin mila nahin / वोह कहीं मिला नहीं 



 Woh kahin mila nahin /वोह कहीं मिला नहीं (she didn't get anywhere)


जाने कहां कहां ढुंढा 
पर वो कहीं मिला नहीं 
करते रहें खेती फूलों की 
पर कहीं कुछ खिला नहीं..!

ये कौन सा मौसम था 
कि डूब के मर गए 
और बारिश हुआ नहीं 
हद तो तब हुई 
जब आग में कुद गएं 
और कहीं कुछ जला नहीं

जाने कहां कहां ढुंढा 
पर वो कहीं मिला नहीं..!! 

ये कौन सा अभियंता था 
जो दुनिया बनाया 
न पूरा गोल बनाया 
न ही चपटा बनाया 
उपर से पैर पटक के थक गए 
कहीं कुछ हिला नहीं 
जो खोया इस जहां में 
फिर कहीं मिला नहीं

जाने कहां कहां ढुंढा 
पर वो कहीं मिला नहीं..!! 



Subodh Rajak 
Subodh hindi compositions 
  
मेरी रचनाओं को पढ़ने के लिए
निचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं
https://subodhrajak.blogspot.com


आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है!
पुनः पधारें! धन्यवाद!!


Monday, May 4, 2020

Hindi poem - Ham kho gaye / हम खो गए ( I have been loss)


हम खो गए 
.................................

चारो और दिवारें हैं 
बन्द दरवाजे हो गए ,
डूब गए खामोश, दरिया में 
अंधेरों में हम खो गए ..

जब हमने कहा 
तो किसी ने न सुना 
जब हम सुनने बैठे 
तो वे चुप हो गए.. 

डूब गए खामोश, दरिया में 
अंधेरों में हम खो गए.. 

दिल बैचैन था, बताने को 
फर्क नहीं पड़ा, जमाने को 

आए थे, हसाने को 
पर हम ऐसे रो गए ,
डूब गए खामोश, दरिया में 
अंधेरों में हम खो गए  !

रखा हूँ दर्द को 
शब्दों की चिता में 
इसको तुम जला देना ,
खुश रहना जीवन में 
सारे गम भूला देना ..

जीवन की सुबह ढल गई 
एक लम्बी रात हो गई 
इन रातों में हम सो गए, 
डूब गए खामोश, दरिया में 
अंधेरों में हम खो गए ..!!







                            © Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

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Hindi poem - tuta pathar / टूटा पत्थर ( broken stone)


टूटा पत्थर 
.................................

चल उठ, चल मेरे साथ 
बहुत ठोकरें खा ली ,
कब तक धुल चाटता रहेगा 
बैठे बैठे यहीं सड़ता रहेगा ..

चल आ देख मैं तुझे 
क्या से क्या बनाता हूँ 
कहां से उठा कर 
कहां पे बैठाता हूँ 

पर मेरे शर्त में 
बहुत दर्द है प्यारे ..

कटना है, छैनी की धार से 
टूटना है, हथौड़े की वार से 
चीख पड़ेगा तू, 
किस्मत की हर मार से.. 

ये दर्द खुद पर सहना होगा 
मर मर कर तुम्हें 
जिन्दा रहना होगा.. 

पर मेरे शर्त में 
जब तू खरा उतरेगा ,
बड़ी बड़ी हस्तियां 
तेरे आगे सर झुकाएगा !!






                          © Subodh Rajak 
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Hindi poem - Aatma / आत्मा

  आत्मा   =========== रूकी हवा में  गहरी खामोशी  काली रात में  टहल रहा है कोई  पैरों के निशां नहीं है उसके हवा रोशनी वस्तु चींजे  सब पार हो ...