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Sunday, July 12, 2020

Hindi poem - Jivan ganit / जीवन गणित


Hindi poem

जीवन गणित 

न जाने कैसे कैसे 
खयाल आ जाते हैं ,
गणित से कोई 
रिश्ता ना रहा कभी 
फिर भी कठिन 
सवाल आ जातें हैं ..!

एक समीकरण में 
उलझ गए है हम 
इस जीवन में 
कहां खो गए हैं हम ?
कुछ कटता नहीं 
कुछ बचता नहीं 
कभी बराबर के इस पार 
कभी बराबर के उस पार 
कुछ इसी तरह वक्त 
यूहीं गुजर जाते हैं 
न जाने कैसे कैसे 
सवाल आ जाते हैं  ..!!

वो यादें कहां से 
अचानक आ जाते हैं ?
न जाने कैसे कैसे 
खयाल आ जाते हैं 
गणित से कोई 
रिश्ता ना रहा कभी ,
फिर भी कठिन 
सवाल आ जाते हैं ..!!

हर लम्हा ज़िन्दगी 
साक्षात्कार लेती है 
कुछ देने से पहले 
बहुत कुछ लेती है 
तैयारी तो करते हैं ठीक ठाक 
पर समक्ष क्यों भूल जाते हैं 
न जाने कैसे कैसे 
खयाल आ जाते हैं 
गणित से कोई 
रिश्ता ना रहा कभी 
न जाने क्यों कठिन 
सवाल आ जाते हैं  ..!!!








Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं! 

आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है! पुनः पधारे! धन्यवाद !!


Friday, May 8, 2020

Hindi poem - Bataya Karo / बताया करो


बताया करो 
....................................


मन को न सताया करो 
दिल की बात बताया करो 
कइ रिश्ते हैं जीवन में ,
कुछ रिश्ते निंभाया करो ..

जीवन ये  कम हैं
दिल में कई गम हैं,
मुस्कराते चेहरे है कई 
आंखें कई नम हैं..

कई मुश्किंले हैं जीवन में 
इन मुश्किलों में,
थोड़ा मुस्कुराया करो 
मन को न सताया करो ,
दिल की बात बताया करो ..

पीना है तो आंसू पियो 
ये पीने से कोइ मरता नहीं 
अगर कोई मरता, 
तो दुनियां में कोई बचता नहीं.. 

यह जीवन रक्षक घोल है 
थोड़ा थोड़ा पिया करो ,
मन को न सताया करो 
दिल की बात बताया करो.. 

इस बात का न गम हैं 
कि जीवन बहुत कम हैं
जितना है जिसके पास 
खुलकर जीया करो 
मन को न सताया करो, 
दिल की बात बताया करो.. 

जाएं तो जाएं कहां 
जहां भी जाएं, 
दर्द मिल जाए वहां.. 

दर्द ये  बांटा करो 
मन को न सताया करो 
दिल की बात बताया करो,
कई रिश्ते हैं जीवन में 
कुछ रिश्ते निंभाय करो.. !!







                            © Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

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आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है!  पुनः पधारे, धन्यवाद  !!

Hindi poem - Aatma / आत्मा

  आत्मा   =========== रूकी हवा में  गहरी खामोशी  काली रात में  टहल रहा है कोई  पैरों के निशां नहीं है उसके हवा रोशनी वस्तु चींजे  सब पार हो ...