टूट कर हम बिखर गए..
कुछ भी नहीं मिला हमें
दर्द और अकेलापन के सिवा
नमक मिला जख्मों में
जिस दावत पे हम गए
ज़िन्दगी में हम जिधर गए
टूट कर हम बिखर गए..
दुनिया में वो मशहूर है
खुद पे जिसे गुरुर है
बात इतनी सी नहीं कि हम भूल जाएं
देने वालों का जख़्म भी नासूर है..
विरानों में ऐसे हम खो गए
कि ज़िन्दगी में हम जिधर गए
टूट कर हम बिखर गए..
टूटे टूटे से ख़्वाब है
इसका न कोई जवाब है
दर्द तो मुझे भी हुआ होगा न
जब तीर दिल के भीतर गए
ज़िन्दगी में हम जिधर गए
टूट कर हम बिखर गए ..
कभी फूल बनकर
कांटो में खिला हूं
कभी कांटा बनकर
दिलों में चुभा हूं
जीवन का दीपक हूं
जल जल कर बुझा हूँ
दिखाएं भी तो कैसे दिखाएं
अपने नम आंखों को
दिल में नासूर बनते
हर घाव हर जख़्मो को
माना कि हमने नजरें झुका ली
पर आपकी नजरों से
हम क्यों गिर गए
ज़िन्दगी में हम जिधर गए
टूट कर हम बिखर गए.. !!
© Subodh Rajak
SUBODH HINDI COMPOSITIONS
हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं!
आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है ! पुनः पधारे, धन्यवाद !!