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Sunday, September 13, 2020

Hindi poem - Khamoshi / ख़ामोशी

 


ख़ामोशी 
.................................

आज कल 
खामोश रहता हूँ 
उन महफिल में जहां 
बड़ा शोर होता है 
क्योंकि 
यहां कोई सुनने वाला नहीं 
बस आवाजें हैं 
अंदर
चीखती, चिल्लाती 
दर्द से तड़पती 
आत्माएं हैं 
बाहर 
तो बस मुस्कुराते 
नकली चेहरे हैं 

खामोश रहता हूँ 
उन दोस्तों के बीच 
जो आजकल 
कुछ बोलते नहीं 
कई राज 
छिपे रह जाते हैं 
जो कभी खुलते नहीं 

खामोश रहता हूँ 
उस बाजार में 
जहां कई तरह के सामान 
खरीदे और बेचे जाते हैं 
रिश्तों के तराजू में 
मतलब और फायदे 
तौले जाते हैं 

खामोश रहता हूँ 
उस घर में 
जहां आजकल 
कोई कुछ बोलता नहीं 
बस कुर्सी में बैठा रहता हूँ 
खामोशी को लिये 
और खामोशी को 
करीब से महसूस करता हूँ 
आज कल 
खामोश रहता हूँ 




                        © Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

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आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है!  पुनः पधारे!  धन्यवाद  !!

Wednesday, May 13, 2020

Hindi poem - uff teri yaad / उफ तेरी याद


उफ तेरी याद 
..............................


उफ! तेरी याद 
और कब तक आएगी, 
चैन दिल का ले लिया 
जान भी ले कर जाएगी.. 

हम जीते थे 
जब तुम पास होती थी 
अब इंतजार बस रहता है 
कि मौत कब तक आएगी.. 
उफ! तेरी याद 
और कब तक आएगी, 
चैन दिल का ले लिया 
जान भी ले कर जाएगी..! 

दिल हर लम्हा 
दर्द से तड़पता है, 
जंग ज़िन्दगी का 
रोज ये लड़ता है.. 

डर लगता है 
कब आंखे भर आएंगी 
उफ! तेरी याद 
और कब तक आएगी,
चैन दिल का ले लिया 
जान भी ले कर जाएगी..!! 

कितना भी कोशिश करूं 
आंखों से बह जाती है, 
ये आंसू दिल का 
दर्द बयां कर जाती है ..

एक सैलाब आ जाता है 
आह! जब निकलता है 

ये तूफान न जाने कब रूकेगी 
उफ! तेरी याद 
और कब तक आएगी, 
चैन दिल का ले लिया 
जान भी ले कर जाएगी..!!! 






Subodh Rajak 
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Monday, May 4, 2020

Hindi poem - Ham kho gaye / हम खो गए ( I have been loss)


हम खो गए 
.................................

चारो और दिवारें हैं 
बन्द दरवाजे हो गए ,
डूब गए खामोश, दरिया में 
अंधेरों में हम खो गए ..

जब हमने कहा 
तो किसी ने न सुना 
जब हम सुनने बैठे 
तो वे चुप हो गए.. 

डूब गए खामोश, दरिया में 
अंधेरों में हम खो गए.. 

दिल बैचैन था, बताने को 
फर्क नहीं पड़ा, जमाने को 

आए थे, हसाने को 
पर हम ऐसे रो गए ,
डूब गए खामोश, दरिया में 
अंधेरों में हम खो गए  !

रखा हूँ दर्द को 
शब्दों की चिता में 
इसको तुम जला देना ,
खुश रहना जीवन में 
सारे गम भूला देना ..

जीवन की सुबह ढल गई 
एक लम्बी रात हो गई 
इन रातों में हम सो गए, 
डूब गए खामोश, दरिया में 
अंधेरों में हम खो गए ..!!







                            © Subodh Rajak 
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Friday, May 1, 2020

Hindi poem - Ham bikhar gaye / हम बिखर गए


हम बिखर गए 

ज़िन्दगी में हम जिधर गए 
टूट कर हम बिखर गए.. 

कुछ भी नहीं मिला हमें 
दर्द और अकेलापन के सिवा 
नमक मिला जख्मों में 
जिस दावत पे हम गए 

ज़िन्दगी में हम जिधर गए 
टूट कर हम बिखर गए.. 

दुनिया में वो मशहूर है 
खुद पे जिसे गुरुर है 
बात इतनी सी नहीं कि हम भूल जाएं 
देने वालों का जख़्म भी नासूर है.. 

विरानों में ऐसे हम खो गए 
कि ज़िन्दगी में हम जिधर गए 
टूट कर हम बिखर गए.. 

टूटे टूटे से ख़्वाब है 
इसका न कोई जवाब है 
दर्द तो मुझे भी हुआ होगा न 
जब तीर दिल के भीतर गए 

ज़िन्दगी में हम जिधर गए 
टूट कर हम बिखर गए ..

कभी फूल बनकर 
कांटो में खिला हूं 
कभी कांटा बनकर 
दिलों में चुभा हूं 
जीवन का दीपक हूं 
जल जल कर बुझा हूँ 

दिखाएं भी तो कैसे दिखाएं
अपने नम आंखों को 
दिल में नासूर बनते 
हर घाव हर जख़्मो को 

माना कि हमने नजरें झुका ली 
पर आपकी नजरों से 
हम क्यों गिर गए 

ज़िन्दगी में हम जिधर गए 
टूट कर हम बिखर गए.. !!







                         © Subodh Rajak 
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Hindi poem - Aatma / आत्मा

  आत्मा   =========== रूकी हवा में  गहरी खामोशी  काली रात में  टहल रहा है कोई  पैरों के निशां नहीं है उसके हवा रोशनी वस्तु चींजे  सब पार हो ...