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Monday, August 24, 2020

Hindi poem - Muskan / मुस्कान

Muskan

 ||  मुस्कान ||
..............................

तेरे होठो पर कुछ 
निकल आई है 

सोचता हूँ 
बिना कहे तुमसे 
चुरा लुं इसे 

जैसे गुलाब की पंखुड़ियां 
बिखर कर यहाँ 
और भी खुबसुरत 
हो गई है 

ये कौन सी चीज है 
जो तेरे होठो पर 
निकल आई है 
सोचता हूँ 
बिना कहे तुमसे 
चुरा लुं इसे 

~...~...~...~...~

ये मुस्कान 
जो तेरे होंठों पर 
निकल आई है 
कहां से आई है?
कहीं से तो 
आई होगी 
इतना स्वादिष्ट व्यंजन 
किसी ने तो 
पकाई होगी 

ये पंखुड़ियां 
जो आ कर यहाँ 
बिखर गई है 
ये सुंदर कली 
कहीं न कहीं 
खिला होगा 
इसको जीवन जल 
कहीं न कहीं से 
मिला होगा 

ये दरिया रस का 
किस मुहाने से 
निकल आई है 
ये मुस्कान 
जो तेरे होंठों पर 
निकल आई है 
कहां से आई है ?..!!



                    
                         © Subodh Rajak 

SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं! 

आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है ! पुनः पधारे!  धन्यवाद!! 

Saturday, June 13, 2020

Hindi poem - Kuch baaki hai / कुछ बाकी है..

Hindi poem - kuch baaki hai / कुछ बाकी है
Hindi poem - kuch baaki hai

kuch baaki hai /कुछ बाकी है 

किताबें जो रखी हैं 
सेत कर पढ़ने के लिए 
कुछ पन्नें अभी बाकी हैं,

कुछ दिन गुजर गए 
ज़िन्दगी के कुछ दिन में 
कुछ जीना अभी बाकी है..!

कुछ तो है मुझमें 
यूं ही नहीं हम नजरों में हैं 
कुछ बातें उभर गई है 
उनकी दो आंखों पर 
कुछ बातें अभी बाकी हैं..!!




Subodh Rajak 
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आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है! पुनः पधारें!
धन्यवाद! 

Monday, May 4, 2020

Hindi poem - Do baaton se / दो बातों से


दो बातों से 
.................................

दो बातों से 
मन हल्का हो गया 
सूखे मन में 
बारिश हल्का हो गया 

रिश्तों में अपनापन है 
मन में अकेलापन है 
क्यों आंखे, आज नम हो गया 
दो बातों से 
मन हल्का हो गया ..

दो पल का आना है 
गुजरा कई जमाना है 
कुछ बातें बाकी है 
कुछ बातें हो गया,  
दो बातों से 
मन हल्का हो गया 
सूखे मन में 
बारिश हल्का हो गया !!

ऐहसासों की तार है 
दर्द में बजता सितार है 
एक संगीत का दरिया है 
डूबता इसमें संसार है 

उम्र की दिवार नहीं 
रिश्तों का नाम नहीं 
बस यूँही राहों में, मिलना हो गया 
दो बातों से 
मन हल्का हो गया ,
सूखे मन में 
बारिश हल्का हो गया  !!








                            © Subodh Rajak 
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Hindi poem - Aatma / आत्मा

  आत्मा   =========== रूकी हवा में  गहरी खामोशी  काली रात में  टहल रहा है कोई  पैरों के निशां नहीं है उसके हवा रोशनी वस्तु चींजे  सब पार हो ...