Sunday, July 26, 2020

Hindi poem - Chinty / चींटी ( Ant )


Hindi poem

चींटी 

विशाल पत्तियाँ लिये खड़ा है 
पौधों को क्या नाप पाएगा ,
हिरदय विशाल है चींटी का 
शिखर में चढ़ मुस्काएगा ..!

छेड़ा है तेज हवाओं ने 
पर उसे क्या रोक पाएगा ,
हिरदय विशाल है चींटी का 
शिखर में चढ़ मुस्काएगा ..!!

कुछ चट्टानें फिसलन भरी है 
पर कितनी बार वो फिसलेगा ,
हिरदय विशाल है चींटी का 
शिखर में चढ़ मुस्काएगा ..!!

एक छोटा नाला जब 
विशाल नदी बन जाएगा ,
उसे डुबाने धीरे धीरे 
कदम वो आगे बढ़ाएगा ..!!

देख नदी को वह 
सांहस क्या बंध पाएगा ,
विशाल हिरदय है चींटी का 
शिखर में चढ़ मुस्काएगा  ..!!!
 






Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं! 

आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है! पुनः पधारे! धन्यवाद!! 

No comments:

Post a Comment

Hindi poem - Aatma / आत्मा

  आत्मा   =========== रूकी हवा में  गहरी खामोशी  काली रात में  टहल रहा है कोई  पैरों के निशां नहीं है उसके हवा रोशनी वस्तु चींजे  सब पार हो ...