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Saturday, August 1, 2020

Hindi poem - Lahu ur nabj / लहू उर नब्ज


Subodh hindi compositions


लहू उर नब्ज की 

शीशा टूट कर 
चुभा था अंदर 
वो आखरी 
टुकड़ा भी निकल गया ,
जख्म कुछ भर गए 
कुछ नासूर हो गए 
लहू उर नब्ज की 
आंखों से निकल गया  ..!!

लम्बे सफर में निकला हूँ 
पैरों में छाले पड़े हैं 
झुलसती धूप में 
चेहरे काले पड़े हैं ,
उम्मीद छाँव की 
हम कहां रखें 
पेड़ों की पत्तियाँ 
गिरे पड़े हैं  ..!!

जब खंजर 
दिल से निकला था 
फिर क्यों 
हाथों से फिसल गया 
लहू उर नब्ज की 
आंखों से निकल गया ...!!!





Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं! 

आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है! पुनः पधारे! धन्यवाद!! 

Sunday, July 19, 2020

Hindi poem - Pattharon ka dard / पत्थरों का दर्द


Hindi poem


पत्थरों का दर्द 

एक ढाल पे बहता पानी है 
पत्थरों के दर्द की कहानी है 

जल की धारा से टूटा है 
दरारों में किसी का आशियाना है 
कुछ हरे हरे शैवाल पड़ गए हैं 
कुछ किड़ों का ठिकाना है 

कोई करिश्मा है या 
कुदरत की कोई नादानी है ,
एक ढाल पे बहता पानी है 
पत्थरों के दर्द की कहानी है ..!!

तीर जिगर में घुसा 
या जिगर तीर में गिरा 
नासूर जख्म की निशानी है 

एक ढाल पे बहता पानी है 
पत्थरों के दर्द की कहानी है ..!!







Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

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आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है! पुनः पधारे! धन्यवाद !!

Hindi poem - Aatma / आत्मा

  आत्मा   =========== रूकी हवा में  गहरी खामोशी  काली रात में  टहल रहा है कोई  पैरों के निशां नहीं है उसके हवा रोशनी वस्तु चींजे  सब पार हो ...