Tuesday, March 9, 2021

Hindi poem - Aatma / आत्मा

 



आत्मा 

===========

रूकी हवा में 

गहरी खामोशी 

काली रात में 

टहल रहा है कोई 

पैरों के निशां नहीं है उसके

हवा रोशनी वस्तु चींजे 

सब पार हो जाए उससे 

रंग रूप आकार समझ न आए 

रात को सोने के बाद 

अंधेरे को चीर 

आकाश गंगा में जा मिलता हूँ 

ऐसा लगता है 

आईने के अंदर 

खुद से जा मिलता हूँ  ..!!



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© Subodh Rajak 

SUBODH HINDI COMPOSITIONS 


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Hindi poem - Aatma / आत्मा

  आत्मा   =========== रूकी हवा में  गहरी खामोशी  काली रात में  टहल रहा है कोई  पैरों के निशां नहीं है उसके हवा रोशनी वस्तु चींजे  सब पार हो ...