Sunday, July 26, 2020

Hindi poem - Aaina / आईना ( Mirror )



आईना 

बना कर दिल जमाने ने 
इस कदर मुझे तोड़ा है ,
कि टुकड़ा टुकड़ा हिस्सा 
जमीं पे गिरा है  ..!!

कितनों ने अपना चेहरा देखा 
किसी ने आंसू देखे 
किसी ने मुस्कान देखा 
किसी ने घाव देखे 
किसी ने जख्म गहरा देखा 
कुछ इस कदर सब ने 
अपना चेहरा देखा  ..!!

रोशनी में रहते हैं लोग 
पर जहन में अंधेरा है 
बना कर दिल जमाने ने 
इस कदर मुझे तोड़ा है ,
कि टुकड़ा टुकड़ा हिस्सा 
जमीं पे गिरा है  ..!!

टूटा हूँ गिर कर 
किसी के हाथों से छूट कर 
ज़िन्दगी ने ही ले गया 
मेरी ज़िन्दगी लूट कर 

कल तक घर की शोभा थी 
आज किसी ने कुड़े में छोड़ा है 
बना कर दिल जमाने ने 
इस कदर मुझे तोड़ा है ,
कि टुकड़ा टुकड़ा हिस्सा 
जमीं पे गिरा है  ..!!!






Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं! 

आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है!  पुनः पधारे! 
धन्यवाद!! 




No comments:

Post a Comment

Hindi poem - Aatma / आत्मा

  आत्मा   =========== रूकी हवा में  गहरी खामोशी  काली रात में  टहल रहा है कोई  पैरों के निशां नहीं है उसके हवा रोशनी वस्तु चींजे  सब पार हो ...