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Saturday, May 9, 2020

Hindi poem - Nal / नल



नल 
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डब-डब डब-डब पानी गिरे 
पकड़ा हूँ नल खड़े खड़े 
भर जा टंकी जल्दी से 
पक रहा हूँ खड़े खड़े.. 

ताक रहे पौधे मुझे 
मिट्टी में यूं खड़े खड़े ,
न दू पानी इसे अगर 
उठकर मुझसे ये लड़े ..

डब-डब डब-डब पानी गिरे 
पकड़ा हूँ नल खड़े खड़े.. 

नल की ये कहानी है 
पकड़े हर कोई ,
जब तक उसमें पानी है ..

भर जा टंकी जल्दी से 
सर पे मेरे धूप पड़े 
डब-डब डब-डब पानी गिरे ,
पकड़ा हूँ नल खड़े खड़े ..

जल्दी पानी भरना है 
उसके बाद नहाना है 
भूख लगी है जोर से 
जल्दी खाना खाना है 

पाचन की समस्या हो  
वक्त पे जो ना भोजन करे,
डब-डब डब-डब पानी गिरे 
पकड़ा हूँ नल खड़े खड़े ..!

पौधे को देना है पानी 
टंकी भरने के बाद, 
फल मिलेगा झोला भर 
फूल खिलने के बाद.. 

मजबूत है इनकी जड़ें 
इनको कोई क्या उखाड़े
डब-डब डब-डब पानी गिरे 
पकड़ा हूँ नल खड़े खड़े..!!








Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं! 

आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है!  पुनः पधारे,  धन्यवाद  !!



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