दिल की आदत
आदत सी हो गई है
दिल को अब दर्द का
काम नहीं करता
कोई दवा इस मर्ज का
मुश्किल है धूप में चलना
सड़कें गरम हो गई है ,
जख्म न भरते हैं चोट न रूकते हैं
दर्द बेशरम हो गई है ..
ब्याज चुकता नहीं
मूल बाकी है इस कर्ज का
आदत सी हो गई है
दिल को अब दर्द का ...!!
शाम का परिंदा चला गया कहीं
अब वह लौटता नहीं
घंटो बैठा करते थे जिसके साथ
ठंडी शाम को चुल्हे के पास
अब वो कुछ बोलता नहीं
नजरें उठा कर देखता नहीं
दिख जाते हैं
गलियों में कभी कभी
बीतें हैं याद में जिनके
रात कई शर्द का
आदत सी हो गई है
दिल को अब दर्द का ...!!!
Subodh Rajak
SUBODH HINDI COMPOSITIONS
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