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Sunday, July 26, 2020

Hindi poem - Kitabon ke panne / किताबों के पन्नें


Hindi poem


किताबों के पन्नें 

एक किताब की 
कई सारे पन्नों के बीच 
फस कर दबा हूँ 

बाहर के धूल धूप गरमी जाड़ा 
से हांलाकि सुरक्षित हूँ 
स्वर की चादर ओढ़े 
रद्दी में पड़ा एक संगीत हूँ 

इस आस में हूँ कि 
कोई तो किताब उठाए 
अपनी उंगलियों से दबाकर 
पन्नों को हवा में दौड़ाए 

आंखों में एक 
बूंद की तरह अटका हूँ 
एक किताब की 
कई सारे पन्नों के बीच 
फस कर दबा हूँ  ..!!






Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं!  

आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है! पुनः पधारे! धन्यवाद!! 

Saturday, May 30, 2020

Hindi poem - Kitab / किताब ( Book )

Hindi poem

किताब 

किताब मेरी 
खुलते ही 
शब्दों की बारिश करता है 
छोटे छोटे शब्दों को जोड़ कर 
मीठी मीठी बातें करता है

किताब की 
हर बात 
दिल में उतर जाता है 
दो चार पन्ने पलटते ही 
मन खो जाता है 

कभी हंसी 
आती है 
उनके बातों पर 
कभी आंखे भर आता है 
किताब मेरी 
खुलते ही 
शब्दों की बारिश करता है 
छोटे छोटे शब्दों को जोड़ कर 
मीठी मीठी बातें करता है..!! 








Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

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आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है! पुनः पधारे! धन्यवाद!! 

Hindi poem - Aatma / आत्मा

  आत्मा   =========== रूकी हवा में  गहरी खामोशी  काली रात में  टहल रहा है कोई  पैरों के निशां नहीं है उसके हवा रोशनी वस्तु चींजे  सब पार हो ...