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Saturday, July 18, 2020

Hindi poem - Pani Pani / पानी पानी


Hindi poem

पानी पानी  

पानी पानी कर दिया, मुझको तेरी जवानी रे 
मैं बन गया दिवाना, तू बन जा मेरी दिवानी रे ..!

बाते तुम्हारी अब जानम 
दिल में उतरता ही जाए 
लग जा गले जरा सा 
दिल को सुकून आ जाए 

दिल झुम उठा है जरा सा, हो के मगन मस्तानी रे 
पानी पानी कर दिया, मुझको तेरी जवानी रे ..!!

करने लगे हैं हम 
इतना प्यार तुझे हम 
रहेगा प्यार हमारा 
रहेंगे जब तक हम 

दिल में प्यार जरा सा, है थोड़ा शैतानी रे 
पानी पानी कर दिया, मुझको तेरी जवानी रे ..!!

सब कुछ खो गया है 
इक तस्वीर बचा है 
मेरे दिल के आइने में 
तेरा चेहरा छिपा है 

डूब कर इश्क़ दरिया में, कर ले थोड़ा तुफानी रे 
पानी पानी कर दिया, मुझको तेरी जवानी रे  ..!!!







Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

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आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है! पुनः पधारे! धन्यवाद !!


Thursday, May 28, 2020

Hindi poem - pahli baar / पहली बार

Hindi poem pahli baar

पहली बार 
........................

आहत हुआ है, दिल तार तार हुआ है 
इश्क़ में ये हाल मेरा पहली बार हुआ है..!

पहले पहल लगा, ये क्या बला है 
पर इसे बेहतर जाना कौन भला है! 
निशाने पर थे हम कुछ इस तरह 
तीर दिल के सीधे पार हुआ है 
इश्क़ में ये हाल मेरा पहली बार हुआ है..!!

थोड़ा जानबूझकर, थोड़ा अचानक हुआ है 
पर अंजाम इसका बड़ा भयानक हुआ है 
दिल हुआ बिमार मेरा, धड़कने लाचार हुआ है 
इश्क़ में ये हाल मेरा पहली बार हुआ है..!!

आफत हुआ है, जीवन बेकार हुआ है 
जहां सुना खरी खोटी, वहीं तेरा दिदार हुआ है 
इश्क़ में ये हाल मेरा पहली बार हुआ है..!! 

दर्द ये जार जार हुआ है 
आहत हुआ है दिल तार तार हुआ है 
ऐसा हाल मेरा, पहली बार हुआ है..!!! 






Subodh Rajak 
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आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है!  पुनः पधारे! धन्यवाद  !!

Saturday, May 2, 2020

Hindi poem - Nikala hu / निकला हूँ


निकला हूँ 
.....................


निकला हूं घर से  बस यही सोच कर 
जाऊंगा उधर  मिल जाए तू जिधर 

बनाया हूं बहाना ये किसी से न कहना 
ये आपस की बात है जरा ध्यान से सुनना 
बदल गया हूँ मैं  सबका है ये कहना 
तुम क्या सोचती हो जरा अपना बताना 

तेरे पीछे दौड़कर ज़िन्दगी जाये ना गुज़र 
निकला हूं घर से बस यही सोच कर 
जाऊंगा उधर मिल जाए तू जिधर ..

जब भी तेरे घर से गुज़रता हूं 
तुम्हारे ही बारे में सोचता हूं 
तेरी एक झलक पाने के लिए 
सभी से नजरें  चुराता हूँ 

मन भर जाता है 
जब आती हो तुम मुस्कुराकर 
निकला हूं घर से बस यही सोच कर 
जाऊंगा उधर मिल जाए तू जिधर.. 

मौसम सुहाना लगता है 
जब सामने तुम आती हो 
भूल जाता हूँ सब कुछ  तुम्हें देखकर 
इतनी सुन्दर क्यों लगती हो 

चाहा हूँ तुम्हें खुलकर 
इस दुनिया में सब कुछ भूल कर 
निकला हूं घर से बस यही सोच कर 
जाऊंगा उधर मिल जाए तू जिधर.. !!







                          © Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

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धन्यवाद  !!

Hindi poem - Aatma / आत्मा

  आत्मा   =========== रूकी हवा में  गहरी खामोशी  काली रात में  टहल रहा है कोई  पैरों के निशां नहीं है उसके हवा रोशनी वस्तु चींजे  सब पार हो ...