हाल - ए - उर
हाल - ए - उर न जाने हुज़ूर
विरह का दर्द है जरूर
दिल का है क्या जाने कसूर
हाले - ए - उर न जाने हुज़ूर ..!
महफिल महफिल दिल लूटा
बेहरमी से फिर टूटा
जाने क्या है उसे मंजूर
हाले - ए - उर न जाने हुज़ूर..!!
आंखे काजल काजल
होंट लगे शबनमी
उसके आहट से
सांसे करे मनमानी
बाहों में लेता उसे जरूर
पर थी वो हमसे दूर
हाले - ए - उर न जाने हुज़ूर..!!
बहती काजल के निशां
हाल दिल का बता दिया
शायद मेरे याद में उसने
खुद को ही भूला दिया
बैठा हूँ महफिल में दूर - दूर
नजरें भी ना मिले
क्यों है दिल इतना मजबूर
हाल - ए - उर न जाने हुज़ूर..!!!
Subodh Rajak
SUBODH HINDI COMPOSITIONS
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आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है !पुनः पधारे! धन्यवाद!!