पौधों से टूटकर
पत्तियों से बिछड़ कर,
आया हूँ दूर से
नहां धो कर..!
एक छण उड़ कर
गिर गए टकराकर
ऐसे आया शरण में,
गिर गए चरणों पर...
मन त्रीप्त हो उठा
मंत्र संगीत सुनकर
पौधों से टूट कर
पत्तियों से बिछड़ कर,
आया हूँ दूर से
नहां धो कर...!!
मेरे कण कण में हैं
तुम्हारा वास ,
काश! उग जाता फिर से
तेरे चरणों के पास...!!!
Subodh Rajak
SUBODH HINDI COMPOSITIONS
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आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है! पुनः पधारे! धन्यवाद !!
Wow!!! Amazing poem.
ReplyDeleteThank you !!
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