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Friday, August 28, 2020

Hindi poem - Jivan parishram / जीवन परिश्रम

 

Hindi poem

जीवन परिश्रम 

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जीवन परिश्रम 

कम न हो जाए 

दिन निकल गया 

कहीं शाम न हो जाए 

शुरू करो फिर कोशिश 

ज्यादा आराम न हो जाए 

जीवन परिश्रम 

कम न हो जाए ..!


ये श्रृंगार रस की कविताएं 

हल नहीं करती 

जीवन की बाधाएं 

बस कागज के दो टुकड़ों में 

गम बट न जाए 

जुनून मन का कहीं 

कम न हो जाए ..!!


लक्ष्य पाने का 

उम्मीद कहीं 

कम न हो जाए 

जीवन परिश्रम 

कम न हो जाए  ..!!!






                           © Subodh Rajak 

SUBODH HINDI COMPOSITIONS 


हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं! 

https://subodhrajak.blogspot.com


आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है!  पुनः पधारे!  धन्यवाद  !!


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