जीवन परिश्रम
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जीवन परिश्रम
कम न हो जाए
दिन निकल गया
कहीं शाम न हो जाए
शुरू करो फिर कोशिश
ज्यादा आराम न हो जाए
जीवन परिश्रम
कम न हो जाए ..!
ये श्रृंगार रस की कविताएं
हल नहीं करती
जीवन की बाधाएं
बस कागज के दो टुकड़ों में
गम बट न जाए
जुनून मन का कहीं
कम न हो जाए ..!!
लक्ष्य पाने का
उम्मीद कहीं
कम न हो जाए
जीवन परिश्रम
कम न हो जाए ..!!!
© Subodh Rajak
SUBODH HINDI COMPOSITIONS
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आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है! पुनः पधारे! धन्यवाद !!