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Tuesday, September 1, 2020

Hindi poem - Andhere me hun / अंधेरे में हूँ

 

Hindi poem - Andhere me hun

अंधेरे में हूँ 

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कैसे देख पाओगे मुझे 

मैं अंधेरे में हूँ 

जूगनुओं की बस्ती में 

किसी पगडंडी में 

रात के गलियारे में हूँ !

इक सफर में 

मैं अकेला हूँ 

घनी रात में मंजिल 

कुछ साफ नहीं दिखता

किसी गहरी खाई के 

किनारे में हूँ 

मैं अंधेरे में हूँ !

उजाले की तलाश में 

भटकता ठोकर खाता 

उम्मीद की ज्योत जलाए 

न रूकता न थकता 

ठंड से कपकपाता 

घने कोहरे में हूँ 

मैं अंधेरे में हूँ ..!!





                        © Subodh Rajak 

SUBODH HINDI COMPOSITIONS 


हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं! 

https://subodhrajak.blogspot.com


आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है! पुनः पधारे! धन्यवाद!! 


Sunday, July 19, 2020

Hindi poem - Raat / रात ( night )


Hindi poem


रात 

ये रात गुज़र गई होती
अगर तेरी याद आई न होती 
हम सो गए होते 
अगर तुम जागी न होती 

आवाजे रात में होती है 
दिन में तो शोर होता है 
कैसे सौंप दे दिल को 
ये बड़ा ही कमज़ोर होता है 

हम न मिलते कभी शायद 
ये बारिश अगर आई न होती 
ये रात गुज़र गई होती
अगर तेरी याद आई न होती  ..!!

बड़ा ही मुश्किल होता है 
ये वक्त का गुजरना 
वक्त से पुछो क्या होता है 
ये दिल का तड़पना

मेरे दिल को तेरा ऐहसास न होता 
तो ये मुसीबत आई न होती 
ये रात गुज़र गई होती 
अगर तेरी याद आई न होती  ..!!!





Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

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आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है!  पुनः पधारे!  धन्यवाद !!


Saturday, May 30, 2020

Hindi poem - 1:58 am

Hindi poem

1:58 am

जब सारी दुनिया सोया हो 
तब ऐसा लगता है कि 
बचपन की वो कहनी जीवंत हो उठी 
वही भूतों वाली कहानी 

इतनी रात को 
मैं क्यों जगा हूँ ?
एक बार उड़ने की कोशिश करता हूँ 
कहीं सपने में तो नहीं हूँ 

शुक्र है मैं सपने में नहीं हूँ 
ये रचना आप अवश्य पढ़ेंगे 

रात के 1:58 बजे हैं 
खयालों में भूतों की 
महफील सजे हैं 
अब नींद न आए शायद सुबह तक 
देखते हैं ये सफर जाता है कहां तक 

मौसम का रिश्ता 
शायद कलम से है 
जब भी लिखने बैठता हूँ 
इश्क़ कर बैठता है 

जब गुजरें हम 
कागज के गलियों से 
कलम ने साथ दिया है 
और उनके दो शब्दों ने 
क्या बात कहा है 
कि ज़िन्दगी गुजर गई बिताने में 
और अब मजा आ रहा जीने में ...!!







Subodh Rajak 
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Hindi poem - Aatma / आत्मा

  आत्मा   =========== रूकी हवा में  गहरी खामोशी  काली रात में  टहल रहा है कोई  पैरों के निशां नहीं है उसके हवा रोशनी वस्तु चींजे  सब पार हो ...