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Saturday, July 4, 2020

Hindi poem - Dil ki aadat / दिल की आदत ( heart's habit )


Hindi poem

दिल की आदत 

आदत सी हो गई है 
दिल को अब दर्द का 
काम नहीं करता 
कोई दवा इस मर्ज का 

मुश्किल है धूप में चलना 
सड़कें गरम हो गई है ,
जख्म न भरते हैं चोट न रूकते हैं 
दर्द बेशरम हो गई है ..

ब्याज चुकता नहीं 
मूल बाकी है इस कर्ज का 
आदत सी हो गई है 
दिल को अब दर्द का ...!!

शाम का परिंदा चला गया कहीं 
अब वह लौटता नहीं 
घंटो बैठा करते थे जिसके साथ 
ठंडी शाम को चुल्हे के पास 
अब वो कुछ बोलता नहीं 
नजरें उठा कर देखता नहीं 

दिख जाते हैं 
गलियों में कभी कभी 
बीतें हैं याद में जिनके 
रात कई शर्द का 
आदत सी हो गई है 
दिल को अब दर्द का ...!!!







Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं! 

आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है! पुनः पधारे! धन्यवाद!! 


Sunday, June 28, 2020

Hindi poem - Kahan se ayee ho / कहाँ से आई हो

Hindi poem - kahan se ayee ho / कहाँ से आई हो 


Hindi poem


कहाँ से आई हो 


इस जहां की 
तुम नहीं लगती हो 
कहां से आई हो? 
ऐसा लगता है 
आसमां से उतर के 
जमीं पे आई हो ..!!

इस जहां में तुम 
पहली बार 
नजर आई हो
दूर से देखा तुम्हें 
और दिल में 
उतर आई हो 

जिन गलियों से 
पुराना नाता है 
उन गलियों की 
तुम नहीं लगती हो 
कहां से आई हो? 
ऐसा लगता है 
आसमां से उतर के 
जमीं पे आई हो..!!! 






Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं! 

आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है! पुनः पधारे! धन्यवाद! 

the time

Where did go ? "the time!" The time The people The old hut near by home Where did go?  Where did go? "the night...