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Sunday, July 19, 2020

Hindi poem - Shringar / श्रृंगार



Hindi poem


श्रृंगार  

कुछ शब्द थे मन में 
हमने अलंकार बना दिया ,
आईने में देख लो खुद को 
हमने श्रृंगार बना दिया  ..!!

जरा समेट लो अपने बालों को 
कुछ फूल खिले थे पास में 
हमने पुष्प हार बना दिया  ,
आईने में देख लो खुद को 
हमने श्रृंगार बना दिया  ..!!

कुछ पंखुड़ियां 
टूट कर गिर गए आंगन में 
हमने बहार बना दिया ,
आईने में देख लो खुद को 
हमने श्रृंगार बना दिया  ..!!

तेरी आंखों के आसमां में 
हमने बादल बना दिया ,
आईने में देख लो खुद को 
हमने काजल बना दिया  ..!!

दिल अंदर था मेरा 
बाहर निकाल कर 
हमने उपहार बना दिया ,
आईने में देख लो खुद को 
हमने श्रृंगार बना दिया  ..!!








Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं! 

आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है! पुनः पधारे! धन्यवाद!! 



Monday, May 4, 2020

Hindi poem - Do baaton se / दो बातों से


दो बातों से 
.................................

दो बातों से 
मन हल्का हो गया 
सूखे मन में 
बारिश हल्का हो गया 

रिश्तों में अपनापन है 
मन में अकेलापन है 
क्यों आंखे, आज नम हो गया 
दो बातों से 
मन हल्का हो गया ..

दो पल का आना है 
गुजरा कई जमाना है 
कुछ बातें बाकी है 
कुछ बातें हो गया,  
दो बातों से 
मन हल्का हो गया 
सूखे मन में 
बारिश हल्का हो गया !!

ऐहसासों की तार है 
दर्द में बजता सितार है 
एक संगीत का दरिया है 
डूबता इसमें संसार है 

उम्र की दिवार नहीं 
रिश्तों का नाम नहीं 
बस यूँही राहों में, मिलना हो गया 
दो बातों से 
मन हल्का हो गया ,
सूखे मन में 
बारिश हल्का हो गया  !!








                            © Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

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Thursday, April 30, 2020

Hindi poem - Tere kareeb se/ तेरे करीब से



तेरे करीब से 

तेरे करीब से गुजरता हूँ 
नशा नशा महसूस करता हूँ 
हवाएं नम लगता है 
रंग सुबह का कम लगता है 
नजरें झुका कर 
तुम्हें देखा करता हूँ 
तेरे करीब से गुजरता हूँ 
नशा नशा महसूस करता हूँ 

ये नजरें संभलता नहीं 
दिल शरारत करता है 
रंग जवानी का 
हर लम्हा मदहोश करता है 
मन ही मन तुम्हें चाहने का 
गुनाह मैं करता हूँ 
तेरे करीब से गुजरता हूँ 
नशा नशा महसूस करता हूँ 

हलचल होने लगी सांसो में 
सोचता हूं भर लुं तुम्हें बाहों में 
खुशबू तेरे बदन की 
जख़्म दिल का भरता है 
मन तुम्हें छुने को हर बार करता है 

खयालों खयालों में रहता हूँ 
तेरे यादों के पनाह में रहता हूँ 
तेरे करीब से गुजरता हूं 
नशा नशा महसूस करता हूँ ..!!







                            © Subodh Rajak 
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Hindi poem - Aatma / आत्मा

  आत्मा   =========== रूकी हवा में  गहरी खामोशी  काली रात में  टहल रहा है कोई  पैरों के निशां नहीं है उसके हवा रोशनी वस्तु चींजे  सब पार हो ...