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Sunday, August 9, 2020

Hindi poem - Kabhi Kabhi Barish / कभी कभी बारिश

 

कभी कभी बारिश 


आजकल कभी कभी 

बारिश हो जाती है 

ऐसे मौसम में भीगने की 

ख्वाईश हो जाती है 


एक संगीत छिड़ जाती है 

जैसे सितार पर 

बूंदो की मधुर गीत को 

सुनने की 

ख़्वाहिश हो जाती है 

आजकल कभी कभी 

बारिश हो जाती है 


तलब है बुंदो को 

मेरे आंगन में गिरने की 


आ कर यहाँ 

एक सफर खत्म हो जाती है 

आज कल कभी कभी 

बारिश हो जाती है 



Subodh Rajak 

SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं! 

https://subodhrajak.blogspot.com


आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है! पुनः पधारे! धन्यवाद!! 


Tuesday, July 21, 2020

Hindi poem - Lata aur barish / लता और बारिश


Hindi poem Lata aur barish

लता और बारिश 

सुखी डाली में लता 
ऐसे लिपटी है ,
प्रेम की बारिश में छटा 
जैसे सिमटी है ..!

इन पत्तों में कुछ बूंदे पड़ी है 
आँखों में इनके नमीं तो नहीं है ,
खामोशी की फितरत में छिपी 
नासूर कोई जख़्म तो नहीं है ..!!

तूफां में डाली गिरे जहां पर 
पुष्प लता के गिरे वहां पर ,
सींच गया मन वेदना से 
नीर नयन के गिरे जहां पर ..!!

गिरे पुष्प में लिपटा 
ऐसे माटी है ,
प्रेम की बारिश में छटा 
जैसे सिमटी है ..!!!





Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

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Tuesday, July 7, 2020

Hindi poem - pedh / पेड़ ( Tree )


Hindi poem


पेड़ 

शाम को जब मैं बैठा था 
घर का दरवाजा थोड़ा खुला था 
मेैंने देखा एक बड़ा सा पेड़ 
उसकी डालियां हिल रही थी 
पत्तों के हिलने की आवाजें भी 
जोरों से आ रही थी , 
शायद हवाएं 
जोरो से चल रही थी ..!!

पेड़ कभी शांत रहता 
कभी एक ओर झुक जाता 
कुछ इसीतरह हरकतें हो रही थी 
लगता है अपने पड़ोसियों से 
कुछ बातें कर रही थी  ..!!

वे बातें करते होंगे कि 
" बारिश के दिनों में 
दो चार बूंदो में 
क्यों भीग जाते हैं हम! 
इनसानों से एक छतरी बनवा लें क्या? "

वह किन्हें देख कर 
इतना शरमा रही थी ,
शायद हवाएं 
जोरो से चल रही थी  ..!!!







Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

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आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है!  पुनः पधारे!  धन्यवाद!! 





Hindi poem - Aatma / आत्मा

  आत्मा   =========== रूकी हवा में  गहरी खामोशी  काली रात में  टहल रहा है कोई  पैरों के निशां नहीं है उसके हवा रोशनी वस्तु चींजे  सब पार हो ...