सुकून
दिल को ना सुकून है
बंजारा सा दिन है
तन्हा सा रात है
जिन्दा नहीं मैं
पर धड़कनें महफूज हैं
दूर हो के तुमसे ओ अजनबी
दिल को ना सुकून है
दो पल के मिलन में
जीवन का संसार था
ऐहसास के राख में
बुझा बुझा सा प्यार था
कैसे रहुं खुशनुमा
ओ साथी तेरे बिना
दिल मैहरूम है
दूर हो के तुमसे ओ अजनबी
दिल को ना सुकून है
रूक जा रे दिल
ये धड़कनें बेकसूर है
भुला दे उसे तू
फिर माफ तुझे हर खून है
दूर हो के तुमसे ओ अजनबी
दिल को ना सुकून है
ना सुकून है.. ना सुकून है..
© Subodh Rajak
SUBODH HINDI COMPOSITIONS
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