Monday, August 17, 2020

Hindi poem - Kuch aihsans / कुछ ऐहसास

Hindi poem

|| कुछ ऐहसास ||
.......................................

कुछ ऐहसास 
शब्दों से स्पष्ट नहीं होता 
जैसे भीगे हुए चेहरे में 
आंसू की पहचान नहीं होता 
सब कुछ छिपा लेना 
इतना आसान नहीं होता ,
छिप जाते हैं 
कुछ बोल लबों के 
हर बार मुस्कुराना 
इतना आसान नहीं होता !!

उम्मीद को हमने 
इस कदर जकड़ा है 
कि डूबती सांसों ने 
तिनका तिनका पकड़ा है 
पर कभी न कभी 
उम्मीद की पकड़ 
छुट जाता है ,
कांच हो या सपने 
मर्यादा की उंचाई से गिर कर 
टूट जाता है ..!!

जैसे ढेर रेत का 
मुट्ठी में नहीं समाता ,
कुछ ऐहसास 
शब्दों से स्पष्ट नहीं होता  ..!!


                                © Subodh Rajak 

 



SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

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https://subodhrajak.blogspot.com


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