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Tuesday, October 27, 2020

Hindi poem - Neeli pattiyan / नीली पत्तियाँ

 


= नीली पत्तीयां =

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आसमान से रंग चुराकर 

नीली हो गई हरी पत्तियाँ

मिलने लगे हैं अब हाट पर 

नीला पालक नीली सब्जियां 

आसमान से रंग चुराकर 

नीली हो गई हरी पत्तियाँ 


कुछ तो लाल पीले भी थे 

गहरा कत्थई बागों में खिले भी थे 

आसमां संग घुल गई है 

खेतों की ये बस्तियां 

आसमान से रंग चुराकर 

नीली हो गई हरी पत्तियाँ 


जंगल झाड़ अब नहीं दिखते 

अंतरिक्ष की ऊंचाई से 

तिनका तिनका नीला पड़ गया 

अद्भुत सी सिंचाई से 


सूर्य की नीली रोशनी पड़ी है 

नहीं जलती अब लाल बत्तीयां 

आसमान से रंग चुराकर 

नीली हो गई हरी पत्तियाँ  ..!!


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@ Subodh Rajak //-


हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं ! 

hhtps://subodhrajak.blogspot.com


आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है!  पुनः पधारे,  धन्यवाद  !!


Tuesday, July 7, 2020

Hindi poem - pedh / पेड़ ( Tree )


Hindi poem


पेड़ 

शाम को जब मैं बैठा था 
घर का दरवाजा थोड़ा खुला था 
मेैंने देखा एक बड़ा सा पेड़ 
उसकी डालियां हिल रही थी 
पत्तों के हिलने की आवाजें भी 
जोरों से आ रही थी , 
शायद हवाएं 
जोरो से चल रही थी ..!!

पेड़ कभी शांत रहता 
कभी एक ओर झुक जाता 
कुछ इसीतरह हरकतें हो रही थी 
लगता है अपने पड़ोसियों से 
कुछ बातें कर रही थी  ..!!

वे बातें करते होंगे कि 
" बारिश के दिनों में 
दो चार बूंदो में 
क्यों भीग जाते हैं हम! 
इनसानों से एक छतरी बनवा लें क्या? "

वह किन्हें देख कर 
इतना शरमा रही थी ,
शायद हवाएं 
जोरो से चल रही थी  ..!!!







Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

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the time

Where did go ? "the time!" The time The people The old hut near by home Where did go?  Where did go? "the night...