Wednesday, May 20, 2020

Hindi poem - Jhalmudhi / झालमुड़ी


झालमुड़ी 

ले लो बाबू झालमुंड़ी
मुंड़ी ले लो झाल 
ना कर ज्यादा कंजूसी
ढीला करो माल ..!

मिलाउंगा थोड़ा मिक्चर
और थोड़ा बदाम 
ले लो बाबू झालमुड़ी
दस रुपये का सौ ग्राम 

एक बार जो खाओगे
याद करोगे सालों साल 
ले लो बाबू झालमुंड़ी
मुंड़ी ले लो झाल..!!

घुम घुम कर ऱोड में
बढ गया मेरा दाढी 
बेच कर ये झालमुंड़ी 
मुझको लेना है गाड़ी..

लोकल हो या एक्सप्रेस 
हर ट्रेन में है, मेरा भोकाल 
ले लो बाबू झालमुंड़ी 
मुंड़ी ले लो झाल.. !!!

मिलाउंगा थोड़ा काला नमक 
और थोड़ा अचार 
लार क्यों टपकाते हो 
कर लो तुम खाने का विचार.. 

निकालो पैसा जेब से 
अब ना करो कोई सवाल 
ले लो बाबू झालमुंड़ी
मुंड़ी ले लो झाल..!!! 





Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं! 

आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है!  पुनः पधारे ! धन्यवाद  !!



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