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Sunday, September 13, 2020

Hindi poem - Khamoshi / ख़ामोशी

 


ख़ामोशी 
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आज कल 
खामोश रहता हूँ 
उन महफिल में जहां 
बड़ा शोर होता है 
क्योंकि 
यहां कोई सुनने वाला नहीं 
बस आवाजें हैं 
अंदर
चीखती, चिल्लाती 
दर्द से तड़पती 
आत्माएं हैं 
बाहर 
तो बस मुस्कुराते 
नकली चेहरे हैं 

खामोश रहता हूँ 
उन दोस्तों के बीच 
जो आजकल 
कुछ बोलते नहीं 
कई राज 
छिपे रह जाते हैं 
जो कभी खुलते नहीं 

खामोश रहता हूँ 
उस बाजार में 
जहां कई तरह के सामान 
खरीदे और बेचे जाते हैं 
रिश्तों के तराजू में 
मतलब और फायदे 
तौले जाते हैं 

खामोश रहता हूँ 
उस घर में 
जहां आजकल 
कोई कुछ बोलता नहीं 
बस कुर्सी में बैठा रहता हूँ 
खामोशी को लिये 
और खामोशी को 
करीब से महसूस करता हूँ 
आज कल 
खामोश रहता हूँ 




                        © Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

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आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है!  पुनः पधारे!  धन्यवाद  !!

Tuesday, July 21, 2020

Hindi poem - Lata aur barish / लता और बारिश


Hindi poem Lata aur barish

लता और बारिश 

सुखी डाली में लता 
ऐसे लिपटी है ,
प्रेम की बारिश में छटा 
जैसे सिमटी है ..!

इन पत्तों में कुछ बूंदे पड़ी है 
आँखों में इनके नमीं तो नहीं है ,
खामोशी की फितरत में छिपी 
नासूर कोई जख़्म तो नहीं है ..!!

तूफां में डाली गिरे जहां पर 
पुष्प लता के गिरे वहां पर ,
सींच गया मन वेदना से 
नीर नयन के गिरे जहां पर ..!!

गिरे पुष्प में लिपटा 
ऐसे माटी है ,
प्रेम की बारिश में छटा 
जैसे सिमटी है ..!!!





Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

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Saturday, May 30, 2020

ये खामोशी..

Hindi poem

खामोशी 

ये खामोशी बहुत कुछ कहती है 
दिल से निकलकर दूर तक जाती है...! 

चाहा था ता उम्र जिन्हें 
और फिर भुला दिया 
बाद में जाना वो भी मुझे चाहती है 
ये खामोशी बहुत कुछ कहती है 

सब कुछ नहीं मिलता जीवन में 
कुछ न कुछ छूट जाता है 
भार ज्यादा हो दिल में अगर 
कहीं न कहीं डूब जाता है 

हम डूब गए उस दरिया में 
जो तेरे दिल से होकर बहती है 
ये खामोशी बहुत कुछ कहती है..!! 

आहट जो मिला हमें 
तेरी दिल की परछाई है 
मीठा मीठा प्यार तेरा 
मेरे जीवन की कमाई है 

आवाज मेरे दिल की 
चुपके से तेरी और जाती है 

ये खामोशी बहुत कुछ कहती है
दिल से निकलकर दूर तक जाती है...!!! 








Subodh Rajak 
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Hindi poem - Aatma / आत्मा

  आत्मा   =========== रूकी हवा में  गहरी खामोशी  काली रात में  टहल रहा है कोई  पैरों के निशां नहीं है उसके हवा रोशनी वस्तु चींजे  सब पार हो ...