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Sunday, July 19, 2020

Hindi poem - Raat / रात ( night )


Hindi poem


रात 

ये रात गुज़र गई होती
अगर तेरी याद आई न होती 
हम सो गए होते 
अगर तुम जागी न होती 

आवाजे रात में होती है 
दिन में तो शोर होता है 
कैसे सौंप दे दिल को 
ये बड़ा ही कमज़ोर होता है 

हम न मिलते कभी शायद 
ये बारिश अगर आई न होती 
ये रात गुज़र गई होती
अगर तेरी याद आई न होती  ..!!

बड़ा ही मुश्किल होता है 
ये वक्त का गुजरना 
वक्त से पुछो क्या होता है 
ये दिल का तड़पना

मेरे दिल को तेरा ऐहसास न होता 
तो ये मुसीबत आई न होती 
ये रात गुज़र गई होती 
अगर तेरी याद आई न होती  ..!!!





Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

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आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है!  पुनः पधारे!  धन्यवाद !!


Sunday, June 14, 2020

Hindi poem - Mausam / मौसम (weather)



Hindi poem Mausam
Hindi poem - Mausam / मौसम 

ये नीला आसमान 
आज क्यों काला है 
लगता है मौसम आज 
कुछ बदला बदला है

दिखाई दे रहा है 
दूर क्षितिज में
एक घनघोर छाया 
लेकिन रूख हवांओ का 
क्यों बदला बदला है 
लगता है मौसम आज 
कुछ बदला बदला है..!!

उसकी और चला मैं 
मैं उसकी और चला 
और नंगे पांव चला 
तब जाना आंगन गीला है 
लगता है मौसम आज 
कुछ बदला बदला है..!!

आसमान से गिरकर बूंदे 
उसके चेहरे पर पड़ी 
क्या बताऊं उस घड़ी 
कैसे खुद को संभाला है 
लगता है मौसम आज 
कुछ बदला बदला है...!!! 





Subodh Rajak 
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आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है! पुनः पधारे! 
धन्यवाद! 


Saturday, May 30, 2020

Hindi poem - Kitab / किताब ( Book )

Hindi poem

किताब 

किताब मेरी 
खुलते ही 
शब्दों की बारिश करता है 
छोटे छोटे शब्दों को जोड़ कर 
मीठी मीठी बातें करता है

किताब की 
हर बात 
दिल में उतर जाता है 
दो चार पन्ने पलटते ही 
मन खो जाता है 

कभी हंसी 
आती है 
उनके बातों पर 
कभी आंखे भर आता है 
किताब मेरी 
खुलते ही 
शब्दों की बारिश करता है 
छोटे छोटे शब्दों को जोड़ कर 
मीठी मीठी बातें करता है..!! 








Subodh Rajak 
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Thursday, May 14, 2020

Hindi poem - Barish / बारिश ( Rain )




बारिश 
..............................
रिम झिम -रिम झिम 
बजने लगी.. 
बारिश ये क्या 
कहने लगी.. 

गिर के वो आंखों में 
डूबने लगी.. 
रिम झिम - रिम झिम 
बजने लगी.. 
बारिश ये क्या 
कहने लगी..!

इस तरह वो हमें 
समझने लगी 
होंटो पे गिर के प्यास 
बुझाने लगी.. 
रिम झिम - रिम झिम 
बजने लगी 
बारिश ये क्या 
कहने लगी...!! 

हमे तो भीगना था 
कुछ दूर चलना था 
बूंदे भी संग मेरे 
भीगने लगी.. 
रिम झिम - रिम झिम 
बजने लगी 
बारिश ये क्या 
कहने लगी..!!! 







                           © Subodh Rajak 
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Hindi poem - Aatma / आत्मा

  आत्मा   =========== रूकी हवा में  गहरी खामोशी  काली रात में  टहल रहा है कोई  पैरों के निशां नहीं है उसके हवा रोशनी वस्तु चींजे  सब पार हो ...