Tuesday, July 21, 2020

Hindi poem - Lata aur barish / लता और बारिश


Hindi poem Lata aur barish

लता और बारिश 

सुखी डाली में लता 
ऐसे लिपटी है ,
प्रेम की बारिश में छटा 
जैसे सिमटी है ..!

इन पत्तों में कुछ बूंदे पड़ी है 
आँखों में इनके नमीं तो नहीं है ,
खामोशी की फितरत में छिपी 
नासूर कोई जख़्म तो नहीं है ..!!

तूफां में डाली गिरे जहां पर 
पुष्प लता के गिरे वहां पर ,
सींच गया मन वेदना से 
नीर नयन के गिरे जहां पर ..!!

गिरे पुष्प में लिपटा 
ऐसे माटी है ,
प्रेम की बारिश में छटा 
जैसे सिमटी है ..!!!





Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

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आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है! पुनः पधारे! धन्यवाद!! 


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