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Saturday, July 4, 2020

Hindi poem - Man / मन (psyche)


Hindi poem



मन 

कहां उड़ फिरे हैं मनवा 
तेज है पानी और हवा 
आया है अंधड़ तूफान 
जोर जोर हिले सब गछवा 
कहां उड़ फिरे हैं मनवा 

खोजा तिल जंगल जंगल 
पेड़ों के डाल पर 
मिला नहीं वो 

बिन खोजे मिला 
किसी के गाल पर 
कुछ फूल खिले थे 
उसके बाल पर 

हाल चाल 
कुशल मंगल था 
बातों से लगा 
हिर्दय विरान 
एक जंगल था 
खुले खुले बाल थे 
मन में कई सवाल थे 

इस हवा में 
सिहर उठा है तनवा 
कहां उड़ फिरे हैं मनवा ...!!

गिर पड़ी है कुछ बूंद जमी पर 
शायद रोया है कोई कहीं पर 
आंखों के तट पर 
आया है लहरों का उफान 
आया है अंधड़ तूफान 
जोर जोर हिले सब गछवा 
कहां उड़ फिरे हैं मनवा ...!!






Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं! 

आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है!  पुनः पधारे! धन्यवाद!! 

Friday, May 8, 2020

Hindi poem - Bataya Karo / बताया करो


बताया करो 
....................................


मन को न सताया करो 
दिल की बात बताया करो 
कइ रिश्ते हैं जीवन में ,
कुछ रिश्ते निंभाया करो ..

जीवन ये  कम हैं
दिल में कई गम हैं,
मुस्कराते चेहरे है कई 
आंखें कई नम हैं..

कई मुश्किंले हैं जीवन में 
इन मुश्किलों में,
थोड़ा मुस्कुराया करो 
मन को न सताया करो ,
दिल की बात बताया करो ..

पीना है तो आंसू पियो 
ये पीने से कोइ मरता नहीं 
अगर कोई मरता, 
तो दुनियां में कोई बचता नहीं.. 

यह जीवन रक्षक घोल है 
थोड़ा थोड़ा पिया करो ,
मन को न सताया करो 
दिल की बात बताया करो.. 

इस बात का न गम हैं 
कि जीवन बहुत कम हैं
जितना है जिसके पास 
खुलकर जीया करो 
मन को न सताया करो, 
दिल की बात बताया करो.. 

जाएं तो जाएं कहां 
जहां भी जाएं, 
दर्द मिल जाए वहां.. 

दर्द ये  बांटा करो 
मन को न सताया करो 
दिल की बात बताया करो,
कई रिश्ते हैं जीवन में 
कुछ रिश्ते निंभाय करो.. !!







                            © Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

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आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है!  पुनः पधारे, धन्यवाद  !!

Wednesday, April 29, 2020

Hindi poem - Mann / मन



मन

क्यों न बता 
पाएं हम 
बात दिल की 
मेरे मन की 
तुमसे ओ सनम 
हाल दिल की 
मेरे मन की 

है कैसी ये दुरियां 
मेरे मन में
कुछ तो है खयालों में 
दिल की तड़प को बयां 
कैसे कर जाएं हम 
बात दिल की 
मेरे मन की 
क्यों न बता 
पाएं हम 

दर्द है दिल में 
ये दर्द न जाए सहा 
काश हो ऐसा 
कि तु लिपट जाए 
बन के मरहम 
ओ मेरे सनम 
क्यों न बता 
पाएं हम 

बात दिल की 
मेरे मन की.. !!






                           © Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

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Hindi poem - Aatma / आत्मा

  आत्मा   =========== रूकी हवा में  गहरी खामोशी  काली रात में  टहल रहा है कोई  पैरों के निशां नहीं है उसके हवा रोशनी वस्तु चींजे  सब पार हो ...