हम खो गए
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बन्द दरवाजे हो गए ,
डूब गए खामोश, दरिया में
अंधेरों में हम खो गए ..
जब हमने कहा
तो किसी ने न सुना
जब हम सुनने बैठे
तो वे चुप हो गए..
डूब गए खामोश, दरिया में
अंधेरों में हम खो गए..
दिल बैचैन था, बताने को
फर्क नहीं पड़ा, जमाने को
आए थे, हसाने को
पर हम ऐसे रो गए ,
डूब गए खामोश, दरिया में
अंधेरों में हम खो गए !
रखा हूँ दर्द को
शब्दों की चिता में
इसको तुम जला देना ,
खुश रहना जीवन में
सारे गम भूला देना ..
जीवन की सुबह ढल गई
एक लम्बी रात हो गई
इन रातों में हम सो गए,
डूब गए खामोश, दरिया में
अंधेरों में हम खो गए ..!!
© Subodh Rajak
SUBODH HINDI COMPOSITIONS
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