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Sunday, November 15, 2020

Hindi poem - Fir milte hai / फिर मिलते हैं

 


फिर मिलते हैं 

....................................


चलो एक बार 

फिर वहीं मिलते हैं ..

नदी के किनारे 

बड़े बड़े पत्थरों पर 

दरारों में निकली 

मुलायम घास को छुते हैं ..

ठंडी शाम में 

फिर एक बार 

ढलती सूरज को निहारते हैं ..

किनारों में लेट कर 

कल कल करती 

जल धारा को सुनते हैं 

चलो एक बार 

फिर वहीं मिलते हैं ...!!


अब जमाना हो गया 

तुम्हें देखे हुए 

चलो मिलकर 

फिर एक बार खिल खिलाते हैं 

चलो एक बार 

फिर वहीं मिलते हैं ..!!


कुछ नए-नए लोग 

बस गए होंगे शायद 

उन पुरानी गलियों में 

पता नहीं, क्या बंधा मिले 

झुलों वाली डालियों में ...


पर, एक-दो मुस्कुराते 

चेहरे तो मिलेंगे 

चलो थोड़ा उन्हीं से मिल आते हैं ..

चलो एक बार 

फिर वहीं मिलते हैं..!! 





Subodh Rajak 

SUBODH HINDI COMPOSITIONS 


हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं! 

https://subodhrajak.blogspot.com


आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है!  पुनः पधारे धन्यवाद!! 



Monday, May 4, 2020

Hindi poem - tuta pathar / टूटा पत्थर ( broken stone)


टूटा पत्थर 
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चल उठ, चल मेरे साथ 
बहुत ठोकरें खा ली ,
कब तक धुल चाटता रहेगा 
बैठे बैठे यहीं सड़ता रहेगा ..

चल आ देख मैं तुझे 
क्या से क्या बनाता हूँ 
कहां से उठा कर 
कहां पे बैठाता हूँ 

पर मेरे शर्त में 
बहुत दर्द है प्यारे ..

कटना है, छैनी की धार से 
टूटना है, हथौड़े की वार से 
चीख पड़ेगा तू, 
किस्मत की हर मार से.. 

ये दर्द खुद पर सहना होगा 
मर मर कर तुम्हें 
जिन्दा रहना होगा.. 

पर मेरे शर्त में 
जब तू खरा उतरेगा ,
बड़ी बड़ी हस्तियां 
तेरे आगे सर झुकाएगा !!






                          © Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

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आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है!  पुनः पधारे , धन्यवाद  !!


the time

Where did go ? "the time!" The time The people The old hut near by home Where did go?  Where did go? "the night...