Showing posts with label love. Show all posts
Showing posts with label love. Show all posts

Sunday, September 27, 2020

Hindi poem - Subah ki dhup / सुबह की धूप

 


सुबह की धूप 

........................

देखो तो जरा 

सुबह की धूप आई है 

सज धज के 

बन सवर के 

क्या खूब आई है 

देखो तो जरा 

सुबह की धूप आई है 


चिड़ियों वाली संगीत 

फूलों में बिखरा 

सुंदर रूप लाई है 

कलियों के बसेरों में 

तितलीयों के पंखो में 

रंगरस क्या खूब आई है 

देखो तो जरा 

सुबह की धूप आई है  ..!!


आसमां से उतरा हो जैसे 

खुशबू गुलाब का 

जैसे चाँद उतर आया हो 

रात भर थककर ,

जैसे पनघट से आई हो 

कोई परी नहाकर ..!!


निखरती रंग रूप लिए 

कोई अप्सरा उतर आई है 

देखो तो जरा 

सुबह की धूप आई है 

सज धज के 

बन सवर के 

क्या खूब आई है ,

देखो तो जरा 

सुबह की धूप आई है  ..!!





                         Subodh Rajak 

SUBODH HINDI COMPOSITIONS 


हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं! 

https://subodhrajak.blogspot.com


आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है!  पुनः पधारे, धन्यवाद  !!


Monday, August 31, 2020

Hindi poem - Gujarti Subah / गुज़रती सुबह

 

Hindi poem

गुज़रती सुबह 
.................................

आज फिर दिन गुज़रने लगा है ,
दर्श को तेरे मन तड़पने लगा है ..!

दिन ऐसे गुज़र जाता है 
जैसे हवा आता जाता है 
ठंड हवाओं की नमी से 
आंखों में पानी ठहरने लगा है 
दर्श को तेरे मन तड़पने लगा है 

हाल कुछ अपना अब खोने लगा है 
मेरी बैचेनी को देख 
मौसम भी बैचेन होने लगा है 
दर्श को तेरे मन तड़पने लगा है 

आज फिर दिन गुज़रने लगा है ,
दर्श को तेरे मन तड़पने लगा है ..!!

बात मुश्किल से होंटो पे आई है 
तेरे आने से सुबह की धूप आई है 
तेरी परछाई के संग मन चलने लगा है 
दर्श को तेरे मन तड़पने लगा है 

आज फिर दिन गुज़रने लगा है ,
दर्श को तेरे मन तड़पने लगा है  ..!!!





                           © Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 
हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं!! 

आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है ! पुनः पधारे!  धन्यवाद  !!



Sunday, July 19, 2020

Hindi poem - Shringar / श्रृंगार



Hindi poem


श्रृंगार  

कुछ शब्द थे मन में 
हमने अलंकार बना दिया ,
आईने में देख लो खुद को 
हमने श्रृंगार बना दिया  ..!!

जरा समेट लो अपने बालों को 
कुछ फूल खिले थे पास में 
हमने पुष्प हार बना दिया  ,
आईने में देख लो खुद को 
हमने श्रृंगार बना दिया  ..!!

कुछ पंखुड़ियां 
टूट कर गिर गए आंगन में 
हमने बहार बना दिया ,
आईने में देख लो खुद को 
हमने श्रृंगार बना दिया  ..!!

तेरी आंखों के आसमां में 
हमने बादल बना दिया ,
आईने में देख लो खुद को 
हमने काजल बना दिया  ..!!

दिल अंदर था मेरा 
बाहर निकाल कर 
हमने उपहार बना दिया ,
आईने में देख लो खुद को 
हमने श्रृंगार बना दिया  ..!!








Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं! 

आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है! पुनः पधारे! धन्यवाद!! 



Wednesday, June 3, 2020

हाल - ए - उर..

Hindi poem

हाल - ए - उर 

हाल - ए - उर न जाने हुज़ूर 
विरह का दर्द है जरूर 
दिल का है क्या जाने कसूर 
हाले - ए - उर न जाने हुज़ूर ..!

महफिल महफिल दिल लूटा 
बेहरमी से फिर टूटा 
जाने क्या है उसे मंजूर 
हाले - ए - उर न जाने हुज़ूर..!! 

आंखे काजल काजल 
होंट लगे शबनमी 
उसके आहट से 
सांसे करे मनमानी 

बाहों में लेता उसे जरूर 
पर थी वो हमसे दूर 
हाले - ए - उर न जाने हुज़ूर..!!

बहती काजल के निशां 
हाल दिल का बता दिया 
शायद मेरे याद में उसने 
खुद को ही भूला दिया 

बैठा हूँ महफिल में दूर - दूर 
नजरें भी ना मिले 
क्यों है दिल इतना मजबूर 
हाल - ए - उर न जाने हुज़ूर..!!!








Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं! 


आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है !पुनः पधारे! धन्यवाद!! 



Tuesday, June 2, 2020

Hindi poem - kagaj aur kalam / कागज और कलम

Hindi poem

कागज और कलम 

अब कलम की याद नहीं आती 
कागज खुद को 
मोड़ माड़ के समेट लिया है

कविता लिखने का मोर्चा 
मोबाइल ने संभाल लिया है..!

कागज और कलम का मिलना 
एक गुजरा 
जमाना हो गया है 
उन दोनो की chemistry 
अब history बन गया है 

पौधों का जीवन बच जाए इसलिए 
खुद को उसने संभाल लिया है

कविता लिखने का मोर्चा 
मोबाइल ने संभाल लिया है..!! 








Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं! 

आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है! पुनः पधारे! धन्यवाद!! 



Friday, May 29, 2020

Hindi poem - tum wahin rukana / तुम वहीं रूकना

Hindi poem

तुम वहीं रूकना 


ये दूर 
खतम होती है 
जहां आसमां ,
मैं मिलूंगा वहीं
तुम वहीं रूकना..

धीरे धीरे चल रहा हूँ 
वक्त के साथ रेंग कर,
कुछ फूलों को ले कर
कुछ कलियों को समेट कर..

मेरी राहें तुम 
थोड़ी देर और देखना ,
मैं मिलूंगा वहीं 
तुम वहीं रूकना..!!









Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं !

आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है! पुनः पधारे !धन्यवाद !!





Thursday, May 28, 2020

Hindi poem - Taswir / तस्वीर

Hindi poem - Taswir


तस्वीर 
........................

तेरी एक तस्वीर उतार लेंगे हम 
तुम्हें देखकर जिंदगी गुजार लेंगे हम 
ये टूटा फूटा जीवन अपना 
इसी चक्कर में सुधार लेंगे हम..! 

ये वक्त कहां कितना होता है 
कहीं ज्यादा कहीं कम होता है 
जहां उम्मीद होता है जीने की 
सांसे वहीं कम होता है..!! 

दर्द होगा दिल में, तुझे पुकार लेंगे हम 
तेरी एक तस्वीर उतार लेंगे हम 
तुम्हें देखकर जिंदगी गुजार लेंगे हम 
ये टूटा फूटा जीवन अपना 
इसी चक्कर में सुधार लेंगे हम..!! 

तेरे दिल में, हम उतर कर 
निकलेंगे मन पावन कर 
अशुद्ध जीवन को शुद्ध कर 
सौपेंगे तुम्हें संवार कर 

मेरे जीवन में ये एहसान होगा 
मेरे दिल में तुम्हारा नाम होगा 
जब भी देखेगा कोई मुझे 
इन आँखों में तुम्हारा पहचान होगा.. 

सपने में भी मिला 
तो सिने से लगा लेंगे हम 
तेरी एक तस्वीर उतार लेंगे हम 
तुम्हें देखकर जिंदगी गुजार लेंगे हम 
ये टूटा फूटा जीवन अपना 
इसी चक्कर में सुधार लेंगे हम...!!! 







Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं! 


आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है! पुनः पधारे!  धन्यवाद  !!

Sunday, May 24, 2020

Hindi poem - Kalam ki sajish / कलम की साजिश



कलम की साजिश 

कलम मेरा हर लम्हा 
साजिश यही करता है ,
लिखते लिखते 
नाम तुम्हारा लिखता है ..!

लिखता हूँ दो शब्द 
दो चार और लिख जाता है ,
कलम मेरा हर लम्हा 
साजिश यही करता है.. 

कागज के मंच पर 
ऐसे वह चलता है, 
मटक मटक कर 
मन को लुभाता है... 

शांत चीत जैसा भी हो 
अनायास हंसा देता है, 
कलम मेरा हर लम्हा 
साजिश यही करता है.. 

खामोश वह रहता है 
न जाने क्या कहता है ,
कागज पर गुज़रता है 
कतरा कतरा जीता है.. 

प्यार करता है, प्यार छुपाता है 
कलम मेरा हर लम्हा 
साजिश यही करता है 
लिखते लिखते 
नाम तुम्हारा लिखता है..!! 





Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं! 

आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है!  पुनः पधारे!  धन्यवाद  !!



Monday, May 4, 2020

Hindi poem - Do baaton se / दो बातों से


दो बातों से 
.................................

दो बातों से 
मन हल्का हो गया 
सूखे मन में 
बारिश हल्का हो गया 

रिश्तों में अपनापन है 
मन में अकेलापन है 
क्यों आंखे, आज नम हो गया 
दो बातों से 
मन हल्का हो गया ..

दो पल का आना है 
गुजरा कई जमाना है 
कुछ बातें बाकी है 
कुछ बातें हो गया,  
दो बातों से 
मन हल्का हो गया 
सूखे मन में 
बारिश हल्का हो गया !!

ऐहसासों की तार है 
दर्द में बजता सितार है 
एक संगीत का दरिया है 
डूबता इसमें संसार है 

उम्र की दिवार नहीं 
रिश्तों का नाम नहीं 
बस यूँही राहों में, मिलना हो गया 
दो बातों से 
मन हल्का हो गया ,
सूखे मन में 
बारिश हल्का हो गया  !!








                            © Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं! 

आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है!  पुनः पधारे,  धन्यवाद  !!



Saturday, May 2, 2020

Hindi poem - Aa jaana / आ जाना


आ जाना 


जमाने की ऐसी की तैसी 
नहीं मिलेगा कोई तेरे जैसी.. 

छोड़ के घर के काम को 
आ जाना मिलने शाम को 

बाजार आना लेकर अपनी गाड़ी
खिलाऊंगा चाय बिस्किट  झालमुड़ी 

पर्स में पैसा है मार्केट में समोसा है 
टेंशन मत लेना अपने दोस्त का ठेला है 

खाना तो बहाना है 
काम तो बस मिलना है 
कुछ सुनना है कुछ बताना है 
ऐसे ही थोड़ा टाइम पास करना है 

बताओ ये आयडिया है कैसी? 

जमाने की ऐसी की तैसी 
नहीं मिलेगा कोई तेरे जैसी 

छोड़ के घर के काम को 
आ जाना मिलने शाम को.. !!






                           © Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं ! 

आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है!  पुनः पधारे, धन्यवाद  !!

Thursday, April 30, 2020

Hindi poem - Tere kareeb se/ तेरे करीब से



तेरे करीब से 

तेरे करीब से गुजरता हूँ 
नशा नशा महसूस करता हूँ 
हवाएं नम लगता है 
रंग सुबह का कम लगता है 
नजरें झुका कर 
तुम्हें देखा करता हूँ 
तेरे करीब से गुजरता हूँ 
नशा नशा महसूस करता हूँ 

ये नजरें संभलता नहीं 
दिल शरारत करता है 
रंग जवानी का 
हर लम्हा मदहोश करता है 
मन ही मन तुम्हें चाहने का 
गुनाह मैं करता हूँ 
तेरे करीब से गुजरता हूँ 
नशा नशा महसूस करता हूँ 

हलचल होने लगी सांसो में 
सोचता हूं भर लुं तुम्हें बाहों में 
खुशबू तेरे बदन की 
जख़्म दिल का भरता है 
मन तुम्हें छुने को हर बार करता है 

खयालों खयालों में रहता हूँ 
तेरे यादों के पनाह में रहता हूँ 
तेरे करीब से गुजरता हूं 
नशा नशा महसूस करता हूँ ..!!







                            © Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं! 

आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है!  पुनः पधारे! धन्यवाद  !!



Hindi poem - Aatma / आत्मा

  आत्मा   =========== रूकी हवा में  गहरी खामोशी  काली रात में  टहल रहा है कोई  पैरों के निशां नहीं है उसके हवा रोशनी वस्तु चींजे  सब पार हो ...