कलम की साजिश
कलम मेरा हर लम्हा
साजिश यही करता है ,
लिखते लिखते
नाम तुम्हारा लिखता है ..!
लिखता हूँ दो शब्द
दो चार और लिख जाता है ,
कलम मेरा हर लम्हा
साजिश यही करता है..
कागज के मंच पर
ऐसे वह चलता है,
मटक मटक कर
मन को लुभाता है...
शांत चीत जैसा भी हो
अनायास हंसा देता है,
कलम मेरा हर लम्हा
साजिश यही करता है..
खामोश वह रहता है
न जाने क्या कहता है ,
कागज पर गुज़रता है
कतरा कतरा जीता है..
प्यार करता है, प्यार छुपाता है
कलम मेरा हर लम्हा
साजिश यही करता है
लिखते लिखते
नाम तुम्हारा लिखता है..!!
Subodh Rajak
SUBODH HINDI COMPOSITIONS
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