अंधेरे में हूँ
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कैसे देख पाओगे मुझे
मैं अंधेरे में हूँ
जूगनुओं की बस्ती में
किसी पगडंडी में
रात के गलियारे में हूँ !
इक सफर में
मैं अकेला हूँ
घनी रात में मंजिल
कुछ साफ नहीं दिखता
किसी गहरी खाई के
किनारे में हूँ
मैं अंधेरे में हूँ !
उजाले की तलाश में
भटकता ठोकर खाता
उम्मीद की ज्योत जलाए
न रूकता न थकता
ठंड से कपकपाता
घने कोहरे में हूँ
मैं अंधेरे में हूँ ..!!
© Subodh Rajak
SUBODH HINDI COMPOSITIONS
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