ठंडी ठंडी
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ठंडी ठंडी चली है ये हवाएं
याद मुझे उसकी दिलाए
पीछे पड़ गया ये
मौसम ये सुहाना
हो गया है पागल ये दिवाना
रंग चांदी सुनहली फिजाएं
याद मझे उसकी दिलाए
ठंडी ठंडी चली है ये हवाएं
याद मुझे उसकी दिलाए
आया है मौसम वही
जब मिले थे हम
जालिम ने कर दिया
मेरी आंखें नम
इनकी नादानी को
कौन इन्हें बतलाए
याद मुझे उसकी दिलाए
ठंडी ठंडी चली है ये हवाएं
याद मुझे उसकी दिलाए
कई रंग उभर आई है
नीले आसमां पर
मेरी बेरंग इस जहां में
सौ रंग ये मिलाए
याद मुझे उसकी दिलाए
ठंडी ठंडी चली है ये हवाएं
याद मुझे उसकी दिलाए ..!!
© Subodh Rajak
SUBODH HINDI COMPOSITIONS
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