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Sunday, June 14, 2020

Hindi poem - Thandi snan / ठंडी स्नान

Hindi poem - Thandi snan / ठंडी स्नान 
Hindi poem cold bath

ठंडी स्नान 

टाईम हुआ है नहाने का 
टॉपिक नहीं है बहानें का 
एक बाल्टी काफी है 
बॉडी पे बहाने का ...!

बॉडी पे साबुन छलके 
बाल्टी से पानी छलके 
मग मग पानी जोर गिरे 
ठंड के मारे मुंह ठिठरे 
लाओ जल्दी, जल्दी लाओ 
लाओ लकड़ी जलाने का 
टाईम हुआ है नहाने का

एक बाल्टी पानी है 
बॉडी पे बहाने का ...!!

कट-कट कट-कट दांत करे 
तरह तरह के बात करे 
मिल जाए कुछ फल फ्रूट 
धांय धांय ये साफ करे 

सपना ऐसा देखा कि 
रहा नहीं कुछ बोलने का 
टाईम हुआ है नहाने का ..!!!






Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

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आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है! 
पुनः पधारें! धन्यवाद! 

Thursday, May 14, 2020

Hindi poem - Barish / बारिश ( Rain )




बारिश 
..............................
रिम झिम -रिम झिम 
बजने लगी.. 
बारिश ये क्या 
कहने लगी.. 

गिर के वो आंखों में 
डूबने लगी.. 
रिम झिम - रिम झिम 
बजने लगी.. 
बारिश ये क्या 
कहने लगी..!

इस तरह वो हमें 
समझने लगी 
होंटो पे गिर के प्यास 
बुझाने लगी.. 
रिम झिम - रिम झिम 
बजने लगी 
बारिश ये क्या 
कहने लगी...!! 

हमे तो भीगना था 
कुछ दूर चलना था 
बूंदे भी संग मेरे 
भीगने लगी.. 
रिम झिम - रिम झिम 
बजने लगी 
बारिश ये क्या 
कहने लगी..!!! 







                           © Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

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आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है!  पुनः पधारे,  धन्यवाद  !!

Saturday, May 9, 2020

Hindi poem - Nal / नल



नल 
....................................

डब-डब डब-डब पानी गिरे 
पकड़ा हूँ नल खड़े खड़े 
भर जा टंकी जल्दी से 
पक रहा हूँ खड़े खड़े.. 

ताक रहे पौधे मुझे 
मिट्टी में यूं खड़े खड़े ,
न दू पानी इसे अगर 
उठकर मुझसे ये लड़े ..

डब-डब डब-डब पानी गिरे 
पकड़ा हूँ नल खड़े खड़े.. 

नल की ये कहानी है 
पकड़े हर कोई ,
जब तक उसमें पानी है ..

भर जा टंकी जल्दी से 
सर पे मेरे धूप पड़े 
डब-डब डब-डब पानी गिरे ,
पकड़ा हूँ नल खड़े खड़े ..

जल्दी पानी भरना है 
उसके बाद नहाना है 
भूख लगी है जोर से 
जल्दी खाना खाना है 

पाचन की समस्या हो  
वक्त पे जो ना भोजन करे,
डब-डब डब-डब पानी गिरे 
पकड़ा हूँ नल खड़े खड़े ..!

पौधे को देना है पानी 
टंकी भरने के बाद, 
फल मिलेगा झोला भर 
फूल खिलने के बाद.. 

मजबूत है इनकी जड़ें 
इनको कोई क्या उखाड़े
डब-डब डब-डब पानी गिरे 
पकड़ा हूँ नल खड़े खड़े..!!








Subodh Rajak 
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Hindi poem - Aatma / आत्मा

  आत्मा   =========== रूकी हवा में  गहरी खामोशी  काली रात में  टहल रहा है कोई  पैरों के निशां नहीं है उसके हवा रोशनी वस्तु चींजे  सब पार हो ...