जीवन की रफ्तार
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गाड़ी अपने जीवन की ,
धीरे धीरे बढ जाएगी
रफ्तार अपने जीवन की ..
चलते ही हमे जाना है
अब हमे रूकना नहीं ,
मुश्किलों को टूट जाना है
अब हमे झुकना नहीं..
दूर है मंजिल ,
लंबी है चढ़ाइ जीवन की ,
दो पहिए में चल पड़ी
गाड़ी अपने जीवन की..
धीरे धीरे बढ जाएगी
रफ्तार अपने जीवन की..
क्या खोना क्या पाना हैं
होगा जो होना हैं,
भूल कर सारे गम
मस्ती में जीना हैं ..
इंतज़ार है अपनी पारी का
लम्बी है कतार जीवन का
पर जल्दी है किसको पड़ी
दो पहिए में चल पड़ी
गाड़ी अपने जीवन की..
धीरे धीरे बढ जाएगी
रफ्तार अपने जीवन की..
निकल पड़ा हुं घर से
मंजिल की तलाश में ,
रूकना नहीं हमें कहीं
धूप में बरसात में ..
अब पीछे न मुड़ना है
हर मुश्किल से लड़ना है
जब भी गिरे हम ,
उठ कर खड़ा होना है ..
हर जंग जीत लेंगे हम
कोई भी जंग हो जीवन की
दो पहिए में चल पड़ी
गाड़ी अपने जीवन की ,
धीरे धीरे बढ जाएगी
रफ्तार अपने जीवन की.. !!
© Subodh Rajak
SUBODH HINDI COMPOSITIONS
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