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Tuesday, September 1, 2020

Hindi poem - Andhere me hun / अंधेरे में हूँ

 

Hindi poem - Andhere me hun

अंधेरे में हूँ 

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कैसे देख पाओगे मुझे 

मैं अंधेरे में हूँ 

जूगनुओं की बस्ती में 

किसी पगडंडी में 

रात के गलियारे में हूँ !

इक सफर में 

मैं अकेला हूँ 

घनी रात में मंजिल 

कुछ साफ नहीं दिखता

किसी गहरी खाई के 

किनारे में हूँ 

मैं अंधेरे में हूँ !

उजाले की तलाश में 

भटकता ठोकर खाता 

उम्मीद की ज्योत जलाए 

न रूकता न थकता 

ठंड से कपकपाता 

घने कोहरे में हूँ 

मैं अंधेरे में हूँ ..!!





                        © Subodh Rajak 

SUBODH HINDI COMPOSITIONS 


हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं! 

https://subodhrajak.blogspot.com


आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है! पुनः पधारे! धन्यवाद!! 


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