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Sunday, July 19, 2020

Hindi poem - Kitana pyar karu / कितना प्यार करूं


Hindi poem

कितना प्यार 

कितना प्यार करूं तुझे 
है नहीं पता मुझे 
दिल ने किया कभी इशारा 
था नहीं खबर मुझे 
कितना प्यार करूं तुझे..! 

कभी कभी मैं सोचता हूँ 
किसे बताऊं कितना तुम्हें 
कितना तुम्हें मैं चाहता हूँ 
करके बंद दरवाजे 
दिल के घर में रहता हूँ 

इश्क में क्या हाल हुआ 
पुछे दिल कई बार मुझे 
कितना प्यार करूं तुझे  ..!!

क्या बताएं आपको 
ये क्या हो गया है 
कभी कभी लगता है 
वक्त थम सा गया है 
तेरे बाहों में आ कर 
दर्द कम सा गया है 

तुम्हें चाहूं किस तरह 
दे इजाज़त तू मुझे 
कितना प्यार करूं तुझे..!! 

मिल जाए मुझको कहीं 
दिख जाए मुझको कहीं 
हूँ मदहोश मैं ..
आ जाए न होश कहीं  ..!!

बाते दिल की करूं कैसे 
कितना प्यार करूं तुझे 
है नहीं पता मुझे  ..!!!







Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

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Hindi poem - Shringar / श्रृंगार



Hindi poem


श्रृंगार  

कुछ शब्द थे मन में 
हमने अलंकार बना दिया ,
आईने में देख लो खुद को 
हमने श्रृंगार बना दिया  ..!!

जरा समेट लो अपने बालों को 
कुछ फूल खिले थे पास में 
हमने पुष्प हार बना दिया  ,
आईने में देख लो खुद को 
हमने श्रृंगार बना दिया  ..!!

कुछ पंखुड़ियां 
टूट कर गिर गए आंगन में 
हमने बहार बना दिया ,
आईने में देख लो खुद को 
हमने श्रृंगार बना दिया  ..!!

तेरी आंखों के आसमां में 
हमने बादल बना दिया ,
आईने में देख लो खुद को 
हमने काजल बना दिया  ..!!

दिल अंदर था मेरा 
बाहर निकाल कर 
हमने उपहार बना दिया ,
आईने में देख लो खुद को 
हमने श्रृंगार बना दिया  ..!!








Subodh Rajak 
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Hindi poem - Apman / अपमान


Hindi poem

अपमान 

मैदान में हारे हुए खिलाड़ी का 
मजाक कौन उडा़ता है? 
वही जो किनारे में बैठ कर 
तालियां बजाता है ..!

तालियां बजाने वाले को फर्क नहीं पड़ता है 
तुम जीते या कोई और 
फिर तुम्हें क्यों फर्क पड़ता है एक हार से 
अभी खेल बाकी है और  ..!!

सफलता कहां चल कर आती है 
ये असफलता का अनुभव ही 
एक दिन सफलता दिलाती है 

शब्द भी बाहर निकल कर 
अपना रंग बदल लेता है 
किसी को त्रीप्त कर देता है 
किसी का ह्रीदय तार तार कर देता है 

जिसने अपमान किया उसे झूठा अभिमान है 
जो अपमान को पी गया वही तो महान है  ..!!

पुरानी बात है, बुजुर्गों का कहना है 
जो जला है, वही शुद्ध सोना बना है  ..!!!









Subodh Rajak 
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Hindi poem - Raat / रात ( night )


Hindi poem


रात 

ये रात गुज़र गई होती
अगर तेरी याद आई न होती 
हम सो गए होते 
अगर तुम जागी न होती 

आवाजे रात में होती है 
दिन में तो शोर होता है 
कैसे सौंप दे दिल को 
ये बड़ा ही कमज़ोर होता है 

हम न मिलते कभी शायद 
ये बारिश अगर आई न होती 
ये रात गुज़र गई होती
अगर तेरी याद आई न होती  ..!!

बड़ा ही मुश्किल होता है 
ये वक्त का गुजरना 
वक्त से पुछो क्या होता है 
ये दिल का तड़पना

मेरे दिल को तेरा ऐहसास न होता 
तो ये मुसीबत आई न होती 
ये रात गुज़र गई होती 
अगर तेरी याद आई न होती  ..!!!





Subodh Rajak 
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Hindi poem - Pattharon ka dard / पत्थरों का दर्द


Hindi poem


पत्थरों का दर्द 

एक ढाल पे बहता पानी है 
पत्थरों के दर्द की कहानी है 

जल की धारा से टूटा है 
दरारों में किसी का आशियाना है 
कुछ हरे हरे शैवाल पड़ गए हैं 
कुछ किड़ों का ठिकाना है 

कोई करिश्मा है या 
कुदरत की कोई नादानी है ,
एक ढाल पे बहता पानी है 
पत्थरों के दर्द की कहानी है ..!!

तीर जिगर में घुसा 
या जिगर तीर में गिरा 
नासूर जख्म की निशानी है 

एक ढाल पे बहता पानी है 
पत्थरों के दर्द की कहानी है ..!!







Subodh Rajak 
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Saturday, July 18, 2020

Hindi poem - Pani Pani / पानी पानी


Hindi poem

पानी पानी  

पानी पानी कर दिया, मुझको तेरी जवानी रे 
मैं बन गया दिवाना, तू बन जा मेरी दिवानी रे ..!

बाते तुम्हारी अब जानम 
दिल में उतरता ही जाए 
लग जा गले जरा सा 
दिल को सुकून आ जाए 

दिल झुम उठा है जरा सा, हो के मगन मस्तानी रे 
पानी पानी कर दिया, मुझको तेरी जवानी रे ..!!

करने लगे हैं हम 
इतना प्यार तुझे हम 
रहेगा प्यार हमारा 
रहेंगे जब तक हम 

दिल में प्यार जरा सा, है थोड़ा शैतानी रे 
पानी पानी कर दिया, मुझको तेरी जवानी रे ..!!

सब कुछ खो गया है 
इक तस्वीर बचा है 
मेरे दिल के आइने में 
तेरा चेहरा छिपा है 

डूब कर इश्क़ दरिया में, कर ले थोड़ा तुफानी रे 
पानी पानी कर दिया, मुझको तेरी जवानी रे  ..!!!







Subodh Rajak 
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Tuesday, July 14, 2020

Hindi poem - Maarte maarte mare wo / मारते मारते मरे वो


Hindi poem

मारते मारते मरे वो 

मारते मारते मरे वो 
देश के लिए बलिदान हुए 
बहता रहा रक्त बदन से 
कदम न उसके पीछे हटे 
वीर गाथा लिख 
शौर्य की पहचान हुए 
मारते मारते मरे वो 
देश के लिए बलिदान हुए ..!!

तिरंगे की शान देखी, दुश्मनों ने 
नया हिन्दुस्तान देखा, दुश्मनों ने 
भारत के वीर सपूतों में 
गजब का जोश देखा, दुश्मनों ने 

विरता देख जवानो की 
शरहद पर दुश्मन बेजान हुए 
मारते मारते मरे वो 
देश के लिए बलिदान हुए  ..!!

गिरकर रक्त माटी में 
जो अब तक गर्म है 
मातृभूमि पे मिटना 
उनका सर्वधर्म है 

रणभूमि में ललकार सुन 
हस्ते हस्ते जो कुर्बान हुए
मारते मारते मरे वो 
देश के लिए बलिदान हुए  ..!!!






Subodh Rajak 
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Sunday, July 12, 2020

Hindi poem - Jivan ganit / जीवन गणित


Hindi poem

जीवन गणित 

न जाने कैसे कैसे 
खयाल आ जाते हैं ,
गणित से कोई 
रिश्ता ना रहा कभी 
फिर भी कठिन 
सवाल आ जातें हैं ..!

एक समीकरण में 
उलझ गए है हम 
इस जीवन में 
कहां खो गए हैं हम ?
कुछ कटता नहीं 
कुछ बचता नहीं 
कभी बराबर के इस पार 
कभी बराबर के उस पार 
कुछ इसी तरह वक्त 
यूहीं गुजर जाते हैं 
न जाने कैसे कैसे 
सवाल आ जाते हैं  ..!!

वो यादें कहां से 
अचानक आ जाते हैं ?
न जाने कैसे कैसे 
खयाल आ जाते हैं 
गणित से कोई 
रिश्ता ना रहा कभी ,
फिर भी कठिन 
सवाल आ जाते हैं ..!!

हर लम्हा ज़िन्दगी 
साक्षात्कार लेती है 
कुछ देने से पहले 
बहुत कुछ लेती है 
तैयारी तो करते हैं ठीक ठाक 
पर समक्ष क्यों भूल जाते हैं 
न जाने कैसे कैसे 
खयाल आ जाते हैं 
गणित से कोई 
रिश्ता ना रहा कभी 
न जाने क्यों कठिन 
सवाल आ जाते हैं  ..!!!








Subodh Rajak 
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Tuesday, July 7, 2020

Hindi poem - pedh / पेड़ ( Tree )


Hindi poem


पेड़ 

शाम को जब मैं बैठा था 
घर का दरवाजा थोड़ा खुला था 
मेैंने देखा एक बड़ा सा पेड़ 
उसकी डालियां हिल रही थी 
पत्तों के हिलने की आवाजें भी 
जोरों से आ रही थी , 
शायद हवाएं 
जोरो से चल रही थी ..!!

पेड़ कभी शांत रहता 
कभी एक ओर झुक जाता 
कुछ इसीतरह हरकतें हो रही थी 
लगता है अपने पड़ोसियों से 
कुछ बातें कर रही थी  ..!!

वे बातें करते होंगे कि 
" बारिश के दिनों में 
दो चार बूंदो में 
क्यों भीग जाते हैं हम! 
इनसानों से एक छतरी बनवा लें क्या? "

वह किन्हें देख कर 
इतना शरमा रही थी ,
शायद हवाएं 
जोरो से चल रही थी  ..!!!







Subodh Rajak 
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Hindi sawan geet - Shankar ke nagri me / शंकर के नगरी में


Hindi sawan geet

शंकर के नगरी में 

चल संग मेरे संग 
थोड़ा घूम के आऊंगा 
बाबा शंकर के नगरी में 
थोड़ा झूम के आऊंगा

घर में थोड़ा घबराता हूँ 
गाँव में थोड़ा शरमाता हूँ 
वहां खुल के गाऊंगा ,
बाबा शंकर के नगरी में 
थोड़ा झूम के आऊंगा  ..!!

चल संग मेरे संग 
ना करनी तुझको जंग 
तू भी संग मेरे 
जरा हाथ बढ़ा देना ,
बाबा को मेरे 
तू भी जल चढ़ा देना ..

भक्ति है दिल में 
मैं ना अब रूकुंगा ,
बाबा शंकर के नगरी में 
थोड़ा झूम के आऊंगा  ..!!

अपना सब कुछ है 
बाबा के चरण में 
जीना मरना है अब 
बाबा के शरण में 

प्रेम प्रसाद है मन में 
बाबा को चढ़ाऊंगा 
बाबा शंकर के नगरी में 
थोड़ा झूम के आऊंगा  ..!!

इक काँवर तुम्हारा है 
इक काँवर हमारा है 
बोल बम बोल बम 
बोल बम का नारा है 
दिल में इसे उतारा है 

बोल बम का नारा मैं 
जोर से लगाऊंगा 
चल संग मेरे संग 
थोड़ा घूम के आऊंगा 

बाबा शंकर के नगरी में 
थोड़ा झूम के आऊंगा  ..!!!








Subodh Rajak 
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Sunday, July 5, 2020

Hindi poem - phool / फूल (Flower)


Hindi poem



फूल 

आए दिन बरसात में 
खिल जाते हैं फूल 
मेरे आंगन में ..

होता है श्रृंगार फूलों की 
खुशबू जाती है 
दूर गगन में ..
आए दिन बरसात में 
खिल जाते हैं फूल 
मेरे आंगन में  ..!!

कभी कभी लड़ जाते हैं 
भौंरे तितली आपस में 
कुछ तो बात है 
फूल की सुंदरता में 

ऐसा फूल खिला नहीं 
किसी चमन में 
आए दिन बरसात में 
खिल जाते हैं फूल 
मेरे आंगन में  ..!!!






Subodh Rajak 
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Saturday, July 4, 2020

Hindi poem - Titli / तितली Butterfly


Hindi poem


तितली 

एक तितली भूल गई 
कि पंख है उसके पास 

चलते फिरते लोगों के बीच 
उसकी शक्ति है कुछ खास 
एक तितली भूल गई 
कि पंख है उसके पास ...!!

छोटे से दिमाग में
कुछ गड़बड़ हो गया 
अंडे से निकलने में 
थोड़ा हड़बड़ हो गया 

जल्दबाजी में कर लिया 
खुद का ही सर्वनाश 
एक तितली भूल गई 
कि पंख है उसके पास ..!!

छोटे बड़े रंग बिरंगे पंख दिखा 
अपने सामने वाली तितली का 
तब ऐहसास हुआ 
उसे अपनी गलती का 

खुद का ग्यान हुआ उसे अनायास 
एक तितली भूल गई 
कि पंख है उसके पास ...!!





Subodh Rajak 
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Hindi poem - Dil ki aadat / दिल की आदत ( heart's habit )


Hindi poem

दिल की आदत 

आदत सी हो गई है 
दिल को अब दर्द का 
काम नहीं करता 
कोई दवा इस मर्ज का 

मुश्किल है धूप में चलना 
सड़कें गरम हो गई है ,
जख्म न भरते हैं चोट न रूकते हैं 
दर्द बेशरम हो गई है ..

ब्याज चुकता नहीं 
मूल बाकी है इस कर्ज का 
आदत सी हो गई है 
दिल को अब दर्द का ...!!

शाम का परिंदा चला गया कहीं 
अब वह लौटता नहीं 
घंटो बैठा करते थे जिसके साथ 
ठंडी शाम को चुल्हे के पास 
अब वो कुछ बोलता नहीं 
नजरें उठा कर देखता नहीं 

दिख जाते हैं 
गलियों में कभी कभी 
बीतें हैं याद में जिनके 
रात कई शर्द का 
आदत सी हो गई है 
दिल को अब दर्द का ...!!!







Subodh Rajak 
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Hindi poem - School ki Ghanti




स्कूल की घंटी 


चलो चलो रे चलो चलो 
रिंकु पिंकु और बंटी 
बज गई है फिर घंटी 

दो दिन अब तो छुट्टी है 
घर में अपना पार्टी है 
वेट अपना कम करेंगे 
स्विंग पूल में जम्प करेंगे 

खाएंगे कुछ फल फ्रूट
बच जाएगी
लाल टमाटर हरी भिंडी 
चलो चलो रे चलो चलो 
रिंकु पिंकु और बंटी 
बज गई है फिर घंटी ..!

कोई नहीं ये जाना है 
अपनी मुट्ठी में 
चिड़ियों का थोड़ा दाना है 
संग उसके दौड़ना है 
दो चार को पकड़ना है 

लाल रंग का जूता है 
कुर्ता नया अपना सादी है
कल जाएंगे नानी घर 
मामा का अपना शादी है 

बूंद बूंद भरेंगे अब 
अपनी मस्ती की टंकी 
चलो चलो रे चलो चलो 
रिंकु पिंकु और बंटी 
बज गई है फिर घंटी ..!!




Subodh Rajak 
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Hindi poem - Man / मन (psyche)


Hindi poem



मन 

कहां उड़ फिरे हैं मनवा 
तेज है पानी और हवा 
आया है अंधड़ तूफान 
जोर जोर हिले सब गछवा 
कहां उड़ फिरे हैं मनवा 

खोजा तिल जंगल जंगल 
पेड़ों के डाल पर 
मिला नहीं वो 

बिन खोजे मिला 
किसी के गाल पर 
कुछ फूल खिले थे 
उसके बाल पर 

हाल चाल 
कुशल मंगल था 
बातों से लगा 
हिर्दय विरान 
एक जंगल था 
खुले खुले बाल थे 
मन में कई सवाल थे 

इस हवा में 
सिहर उठा है तनवा 
कहां उड़ फिरे हैं मनवा ...!!

गिर पड़ी है कुछ बूंद जमी पर 
शायद रोया है कोई कहीं पर 
आंखों के तट पर 
आया है लहरों का उफान 
आया है अंधड़ तूफान 
जोर जोर हिले सब गछवा 
कहां उड़ फिरे हैं मनवा ...!!






Subodh Rajak 
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Friday, July 3, 2020

English poem - A Gift

English poem - A Gift 

English poem

A gift 

How, how, how 
How are you my friend 
Give me a gift 
What is in trend ..!

I wanna something
But don't like some flower
I wanna some sweet 
But don't like any flavor..!! 

I wanna some expensive 
Don't like any cheap brand 
How, how, how 
How are you my friend 
Give me a gift 
What is in trend...!!

A crowd of some people 
Looked like a couple 
I wanna a party with grand 
How, how, how 
How are you my friend 
Give me a gift 
What is in trend..!!! 






By:- Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

Thank you!! 


Tuesday, June 30, 2020

Hindi poem - Ghans ka maidan / घास का मैदान (Grass field)


Hindi poem

घास का मैदान 

कुछ लोग बैठे हैं 
घास के मैदान में 
आ नहीं रहे हैं 
हमारे पहचान में 

वो व्यस्त हैं 
एक दूसरे से 
बात करने में 
कुछ लोग बैठे हैं 
घास के मैदान में..!!

वो पहने हैं कपड़े 
लाल, पिले, नीले, हरे 
कुछ सुकून दिखा
कुछ नाराजगी दिखी 
उसके मुस्कान में 
कुछ लोग बैठे हैं 
घास के मैदान में..!! 

कुछ खुशी बाटते होंगे 
कुछ गम बाटते होंगे 
सच में, प्यार अपनापन 
मिलता नहीं 
किसी दुकान में 
कुछ लोग बैठे हैं 
घास के मैदान में...!!!





Subodh Rajak 
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Sunday, June 28, 2020

Hindi poem - Kahan se ayee ho / कहाँ से आई हो

Hindi poem - kahan se ayee ho / कहाँ से आई हो 


Hindi poem


कहाँ से आई हो 


इस जहां की 
तुम नहीं लगती हो 
कहां से आई हो? 
ऐसा लगता है 
आसमां से उतर के 
जमीं पे आई हो ..!!

इस जहां में तुम 
पहली बार 
नजर आई हो
दूर से देखा तुम्हें 
और दिल में 
उतर आई हो 

जिन गलियों से 
पुराना नाता है 
उन गलियों की 
तुम नहीं लगती हो 
कहां से आई हो? 
ऐसा लगता है 
आसमां से उतर के 
जमीं पे आई हो..!!! 






Subodh Rajak 
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Sunday, June 14, 2020

Hindi poem - Mausam / मौसम (weather)



Hindi poem Mausam
Hindi poem - Mausam / मौसम 

ये नीला आसमान 
आज क्यों काला है 
लगता है मौसम आज 
कुछ बदला बदला है

दिखाई दे रहा है 
दूर क्षितिज में
एक घनघोर छाया 
लेकिन रूख हवांओ का 
क्यों बदला बदला है 
लगता है मौसम आज 
कुछ बदला बदला है..!!

उसकी और चला मैं 
मैं उसकी और चला 
और नंगे पांव चला 
तब जाना आंगन गीला है 
लगता है मौसम आज 
कुछ बदला बदला है..!!

आसमान से गिरकर बूंदे 
उसके चेहरे पर पड़ी 
क्या बताऊं उस घड़ी 
कैसे खुद को संभाला है 
लगता है मौसम आज 
कुछ बदला बदला है...!!! 





Subodh Rajak 
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धन्यवाद! 


Hindi poem - Thandi snan / ठंडी स्नान

Hindi poem - Thandi snan / ठंडी स्नान 
Hindi poem cold bath

ठंडी स्नान 

टाईम हुआ है नहाने का 
टॉपिक नहीं है बहानें का 
एक बाल्टी काफी है 
बॉडी पे बहाने का ...!

बॉडी पे साबुन छलके 
बाल्टी से पानी छलके 
मग मग पानी जोर गिरे 
ठंड के मारे मुंह ठिठरे 
लाओ जल्दी, जल्दी लाओ 
लाओ लकड़ी जलाने का 
टाईम हुआ है नहाने का

एक बाल्टी पानी है 
बॉडी पे बहाने का ...!!

कट-कट कट-कट दांत करे 
तरह तरह के बात करे 
मिल जाए कुछ फल फ्रूट 
धांय धांय ये साफ करे 

सपना ऐसा देखा कि 
रहा नहीं कुछ बोलने का 
टाईम हुआ है नहाने का ..!!!






Subodh Rajak 
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Hindi poem - Aatma / आत्मा

  आत्मा   =========== रूकी हवा में  गहरी खामोशी  काली रात में  टहल रहा है कोई  पैरों के निशां नहीं है उसके हवा रोशनी वस्तु चींजे  सब पार हो ...