Tuesday, July 14, 2020

Hindi poem - Maarte maarte mare wo / मारते मारते मरे वो


Hindi poem

मारते मारते मरे वो 

मारते मारते मरे वो 
देश के लिए बलिदान हुए 
बहता रहा रक्त बदन से 
कदम न उसके पीछे हटे 
वीर गाथा लिख 
शौर्य की पहचान हुए 
मारते मारते मरे वो 
देश के लिए बलिदान हुए ..!!

तिरंगे की शान देखी, दुश्मनों ने 
नया हिन्दुस्तान देखा, दुश्मनों ने 
भारत के वीर सपूतों में 
गजब का जोश देखा, दुश्मनों ने 

विरता देख जवानो की 
शरहद पर दुश्मन बेजान हुए 
मारते मारते मरे वो 
देश के लिए बलिदान हुए  ..!!

गिरकर रक्त माटी में 
जो अब तक गर्म है 
मातृभूमि पे मिटना 
उनका सर्वधर्म है 

रणभूमि में ललकार सुन 
हस्ते हस्ते जो कुर्बान हुए
मारते मारते मरे वो 
देश के लिए बलिदान हुए  ..!!!






Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

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आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है! पुनः पधारे! 
धन्यवाद!! 

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