Saturday, June 6, 2020

Hindi poem - Muskan / मुस्कान (smile)

Muskan  मुस्कान

Muskan /मुस्कान 

ये मुस्कान 
जो तेरे होटों पर निकल आई है 
कहां से आई है? 
कहीं से तो आई होगी 
इतना स्वादिष्ट व्यंजन 
किसी ने तो पकाई होगी! 

ये पंखुड़ियां 
जो आकर यहां बिखर गई है 
अंकूर इसका 
कहीं न कहीं खिला होगा 
किसने सींचा होगा इसे? 
सौन्दर्य जल 
कहीं न कहीं से मिला होगा !

ये दरिया रस का 
किस मुहाने से निकल आई है?
ये मुस्कान 
जो तेरे होठों पर निकल आई है 
कहां से आई है? 




Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

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आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है! 
पुनः पधारें! धन्यवाद! 


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