Sunday, July 12, 2020

Hindi poem - Jivan ganit / जीवन गणित


Hindi poem

जीवन गणित 

न जाने कैसे कैसे 
खयाल आ जाते हैं ,
गणित से कोई 
रिश्ता ना रहा कभी 
फिर भी कठिन 
सवाल आ जातें हैं ..!

एक समीकरण में 
उलझ गए है हम 
इस जीवन में 
कहां खो गए हैं हम ?
कुछ कटता नहीं 
कुछ बचता नहीं 
कभी बराबर के इस पार 
कभी बराबर के उस पार 
कुछ इसी तरह वक्त 
यूहीं गुजर जाते हैं 
न जाने कैसे कैसे 
सवाल आ जाते हैं  ..!!

वो यादें कहां से 
अचानक आ जाते हैं ?
न जाने कैसे कैसे 
खयाल आ जाते हैं 
गणित से कोई 
रिश्ता ना रहा कभी ,
फिर भी कठिन 
सवाल आ जाते हैं ..!!

हर लम्हा ज़िन्दगी 
साक्षात्कार लेती है 
कुछ देने से पहले 
बहुत कुछ लेती है 
तैयारी तो करते हैं ठीक ठाक 
पर समक्ष क्यों भूल जाते हैं 
न जाने कैसे कैसे 
खयाल आ जाते हैं 
गणित से कोई 
रिश्ता ना रहा कभी 
न जाने क्यों कठिन 
सवाल आ जाते हैं  ..!!!








Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

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आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है! पुनः पधारे! धन्यवाद !!


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