जीवन गणित
न जाने कैसे कैसे
खयाल आ जाते हैं ,
गणित से कोई
रिश्ता ना रहा कभी
फिर भी कठिन
सवाल आ जातें हैं ..!
एक समीकरण में
उलझ गए है हम
इस जीवन में
कहां खो गए हैं हम ?
कुछ कटता नहीं
कुछ बचता नहीं
कभी बराबर के इस पार
कभी बराबर के उस पार
कुछ इसी तरह वक्त
यूहीं गुजर जाते हैं
न जाने कैसे कैसे
सवाल आ जाते हैं ..!!
वो यादें कहां से
अचानक आ जाते हैं ?
न जाने कैसे कैसे
खयाल आ जाते हैं
गणित से कोई
रिश्ता ना रहा कभी ,
फिर भी कठिन
सवाल आ जाते हैं ..!!
हर लम्हा ज़िन्दगी
साक्षात्कार लेती है
कुछ देने से पहले
बहुत कुछ लेती है
तैयारी तो करते हैं ठीक ठाक
पर समक्ष क्यों भूल जाते हैं
न जाने कैसे कैसे
खयाल आ जाते हैं
गणित से कोई
रिश्ता ना रहा कभी
न जाने क्यों कठिन
सवाल आ जाते हैं ..!!!
Subodh Rajak
SUBODH HINDI COMPOSITIONS
हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं!
आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है! पुनः पधारे! धन्यवाद !!
No comments:
Post a Comment