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Sunday, July 19, 2020

Hindi poem - Raat / रात ( night )


Hindi poem


रात 

ये रात गुज़र गई होती
अगर तेरी याद आई न होती 
हम सो गए होते 
अगर तुम जागी न होती 

आवाजे रात में होती है 
दिन में तो शोर होता है 
कैसे सौंप दे दिल को 
ये बड़ा ही कमज़ोर होता है 

हम न मिलते कभी शायद 
ये बारिश अगर आई न होती 
ये रात गुज़र गई होती
अगर तेरी याद आई न होती  ..!!

बड़ा ही मुश्किल होता है 
ये वक्त का गुजरना 
वक्त से पुछो क्या होता है 
ये दिल का तड़पना

मेरे दिल को तेरा ऐहसास न होता 
तो ये मुसीबत आई न होती 
ये रात गुज़र गई होती 
अगर तेरी याद आई न होती  ..!!!





Subodh Rajak 
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Hindi poem - Pattharon ka dard / पत्थरों का दर्द


Hindi poem


पत्थरों का दर्द 

एक ढाल पे बहता पानी है 
पत्थरों के दर्द की कहानी है 

जल की धारा से टूटा है 
दरारों में किसी का आशियाना है 
कुछ हरे हरे शैवाल पड़ गए हैं 
कुछ किड़ों का ठिकाना है 

कोई करिश्मा है या 
कुदरत की कोई नादानी है ,
एक ढाल पे बहता पानी है 
पत्थरों के दर्द की कहानी है ..!!

तीर जिगर में घुसा 
या जिगर तीर में गिरा 
नासूर जख्म की निशानी है 

एक ढाल पे बहता पानी है 
पत्थरों के दर्द की कहानी है ..!!







Subodh Rajak 
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Saturday, July 18, 2020

Hindi poem - Pani Pani / पानी पानी


Hindi poem

पानी पानी  

पानी पानी कर दिया, मुझको तेरी जवानी रे 
मैं बन गया दिवाना, तू बन जा मेरी दिवानी रे ..!

बाते तुम्हारी अब जानम 
दिल में उतरता ही जाए 
लग जा गले जरा सा 
दिल को सुकून आ जाए 

दिल झुम उठा है जरा सा, हो के मगन मस्तानी रे 
पानी पानी कर दिया, मुझको तेरी जवानी रे ..!!

करने लगे हैं हम 
इतना प्यार तुझे हम 
रहेगा प्यार हमारा 
रहेंगे जब तक हम 

दिल में प्यार जरा सा, है थोड़ा शैतानी रे 
पानी पानी कर दिया, मुझको तेरी जवानी रे ..!!

सब कुछ खो गया है 
इक तस्वीर बचा है 
मेरे दिल के आइने में 
तेरा चेहरा छिपा है 

डूब कर इश्क़ दरिया में, कर ले थोड़ा तुफानी रे 
पानी पानी कर दिया, मुझको तेरी जवानी रे  ..!!!







Subodh Rajak 
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Tuesday, July 14, 2020

Hindi poem - Maarte maarte mare wo / मारते मारते मरे वो


Hindi poem

मारते मारते मरे वो 

मारते मारते मरे वो 
देश के लिए बलिदान हुए 
बहता रहा रक्त बदन से 
कदम न उसके पीछे हटे 
वीर गाथा लिख 
शौर्य की पहचान हुए 
मारते मारते मरे वो 
देश के लिए बलिदान हुए ..!!

तिरंगे की शान देखी, दुश्मनों ने 
नया हिन्दुस्तान देखा, दुश्मनों ने 
भारत के वीर सपूतों में 
गजब का जोश देखा, दुश्मनों ने 

विरता देख जवानो की 
शरहद पर दुश्मन बेजान हुए 
मारते मारते मरे वो 
देश के लिए बलिदान हुए  ..!!

गिरकर रक्त माटी में 
जो अब तक गर्म है 
मातृभूमि पे मिटना 
उनका सर्वधर्म है 

रणभूमि में ललकार सुन 
हस्ते हस्ते जो कुर्बान हुए
मारते मारते मरे वो 
देश के लिए बलिदान हुए  ..!!!






Subodh Rajak 
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Tuesday, July 7, 2020

Hindi poem - pedh / पेड़ ( Tree )


Hindi poem


पेड़ 

शाम को जब मैं बैठा था 
घर का दरवाजा थोड़ा खुला था 
मेैंने देखा एक बड़ा सा पेड़ 
उसकी डालियां हिल रही थी 
पत्तों के हिलने की आवाजें भी 
जोरों से आ रही थी , 
शायद हवाएं 
जोरो से चल रही थी ..!!

पेड़ कभी शांत रहता 
कभी एक ओर झुक जाता 
कुछ इसीतरह हरकतें हो रही थी 
लगता है अपने पड़ोसियों से 
कुछ बातें कर रही थी  ..!!

वे बातें करते होंगे कि 
" बारिश के दिनों में 
दो चार बूंदो में 
क्यों भीग जाते हैं हम! 
इनसानों से एक छतरी बनवा लें क्या? "

वह किन्हें देख कर 
इतना शरमा रही थी ,
शायद हवाएं 
जोरो से चल रही थी  ..!!!







Subodh Rajak 
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Sunday, July 5, 2020

Hindi poem - phool / फूल (Flower)


Hindi poem



फूल 

आए दिन बरसात में 
खिल जाते हैं फूल 
मेरे आंगन में ..

होता है श्रृंगार फूलों की 
खुशबू जाती है 
दूर गगन में ..
आए दिन बरसात में 
खिल जाते हैं फूल 
मेरे आंगन में  ..!!

कभी कभी लड़ जाते हैं 
भौंरे तितली आपस में 
कुछ तो बात है 
फूल की सुंदरता में 

ऐसा फूल खिला नहीं 
किसी चमन में 
आए दिन बरसात में 
खिल जाते हैं फूल 
मेरे आंगन में  ..!!!






Subodh Rajak 
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Saturday, July 4, 2020

Hindi poem - Titli / तितली Butterfly


Hindi poem


तितली 

एक तितली भूल गई 
कि पंख है उसके पास 

चलते फिरते लोगों के बीच 
उसकी शक्ति है कुछ खास 
एक तितली भूल गई 
कि पंख है उसके पास ...!!

छोटे से दिमाग में
कुछ गड़बड़ हो गया 
अंडे से निकलने में 
थोड़ा हड़बड़ हो गया 

जल्दबाजी में कर लिया 
खुद का ही सर्वनाश 
एक तितली भूल गई 
कि पंख है उसके पास ..!!

छोटे बड़े रंग बिरंगे पंख दिखा 
अपने सामने वाली तितली का 
तब ऐहसास हुआ 
उसे अपनी गलती का 

खुद का ग्यान हुआ उसे अनायास 
एक तितली भूल गई 
कि पंख है उसके पास ...!!





Subodh Rajak 
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Hindi poem - Dil ki aadat / दिल की आदत ( heart's habit )


Hindi poem

दिल की आदत 

आदत सी हो गई है 
दिल को अब दर्द का 
काम नहीं करता 
कोई दवा इस मर्ज का 

मुश्किल है धूप में चलना 
सड़कें गरम हो गई है ,
जख्म न भरते हैं चोट न रूकते हैं 
दर्द बेशरम हो गई है ..

ब्याज चुकता नहीं 
मूल बाकी है इस कर्ज का 
आदत सी हो गई है 
दिल को अब दर्द का ...!!

शाम का परिंदा चला गया कहीं 
अब वह लौटता नहीं 
घंटो बैठा करते थे जिसके साथ 
ठंडी शाम को चुल्हे के पास 
अब वो कुछ बोलता नहीं 
नजरें उठा कर देखता नहीं 

दिख जाते हैं 
गलियों में कभी कभी 
बीतें हैं याद में जिनके 
रात कई शर्द का 
आदत सी हो गई है 
दिल को अब दर्द का ...!!!







Subodh Rajak 
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Hindi poem - School ki Ghanti




स्कूल की घंटी 


चलो चलो रे चलो चलो 
रिंकु पिंकु और बंटी 
बज गई है फिर घंटी 

दो दिन अब तो छुट्टी है 
घर में अपना पार्टी है 
वेट अपना कम करेंगे 
स्विंग पूल में जम्प करेंगे 

खाएंगे कुछ फल फ्रूट
बच जाएगी
लाल टमाटर हरी भिंडी 
चलो चलो रे चलो चलो 
रिंकु पिंकु और बंटी 
बज गई है फिर घंटी ..!

कोई नहीं ये जाना है 
अपनी मुट्ठी में 
चिड़ियों का थोड़ा दाना है 
संग उसके दौड़ना है 
दो चार को पकड़ना है 

लाल रंग का जूता है 
कुर्ता नया अपना सादी है
कल जाएंगे नानी घर 
मामा का अपना शादी है 

बूंद बूंद भरेंगे अब 
अपनी मस्ती की टंकी 
चलो चलो रे चलो चलो 
रिंकु पिंकु और बंटी 
बज गई है फिर घंटी ..!!




Subodh Rajak 
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Hindi poem - Man / मन (psyche)


Hindi poem



मन 

कहां उड़ फिरे हैं मनवा 
तेज है पानी और हवा 
आया है अंधड़ तूफान 
जोर जोर हिले सब गछवा 
कहां उड़ फिरे हैं मनवा 

खोजा तिल जंगल जंगल 
पेड़ों के डाल पर 
मिला नहीं वो 

बिन खोजे मिला 
किसी के गाल पर 
कुछ फूल खिले थे 
उसके बाल पर 

हाल चाल 
कुशल मंगल था 
बातों से लगा 
हिर्दय विरान 
एक जंगल था 
खुले खुले बाल थे 
मन में कई सवाल थे 

इस हवा में 
सिहर उठा है तनवा 
कहां उड़ फिरे हैं मनवा ...!!

गिर पड़ी है कुछ बूंद जमी पर 
शायद रोया है कोई कहीं पर 
आंखों के तट पर 
आया है लहरों का उफान 
आया है अंधड़ तूफान 
जोर जोर हिले सब गछवा 
कहां उड़ फिरे हैं मनवा ...!!






Subodh Rajak 
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Tuesday, June 30, 2020

Hindi poem - Ghans ka maidan / घास का मैदान (Grass field)


Hindi poem

घास का मैदान 

कुछ लोग बैठे हैं 
घास के मैदान में 
आ नहीं रहे हैं 
हमारे पहचान में 

वो व्यस्त हैं 
एक दूसरे से 
बात करने में 
कुछ लोग बैठे हैं 
घास के मैदान में..!!

वो पहने हैं कपड़े 
लाल, पिले, नीले, हरे 
कुछ सुकून दिखा
कुछ नाराजगी दिखी 
उसके मुस्कान में 
कुछ लोग बैठे हैं 
घास के मैदान में..!! 

कुछ खुशी बाटते होंगे 
कुछ गम बाटते होंगे 
सच में, प्यार अपनापन 
मिलता नहीं 
किसी दुकान में 
कुछ लोग बैठे हैं 
घास के मैदान में...!!!





Subodh Rajak 
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Sunday, June 28, 2020

Hindi poem - Kahan se ayee ho / कहाँ से आई हो

Hindi poem - kahan se ayee ho / कहाँ से आई हो 


Hindi poem


कहाँ से आई हो 


इस जहां की 
तुम नहीं लगती हो 
कहां से आई हो? 
ऐसा लगता है 
आसमां से उतर के 
जमीं पे आई हो ..!!

इस जहां में तुम 
पहली बार 
नजर आई हो
दूर से देखा तुम्हें 
और दिल में 
उतर आई हो 

जिन गलियों से 
पुराना नाता है 
उन गलियों की 
तुम नहीं लगती हो 
कहां से आई हो? 
ऐसा लगता है 
आसमां से उतर के 
जमीं पे आई हो..!!! 






Subodh Rajak 
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Sunday, June 14, 2020

Hindi poem - Mausam / मौसम (weather)



Hindi poem Mausam
Hindi poem - Mausam / मौसम 

ये नीला आसमान 
आज क्यों काला है 
लगता है मौसम आज 
कुछ बदला बदला है

दिखाई दे रहा है 
दूर क्षितिज में
एक घनघोर छाया 
लेकिन रूख हवांओ का 
क्यों बदला बदला है 
लगता है मौसम आज 
कुछ बदला बदला है..!!

उसकी और चला मैं 
मैं उसकी और चला 
और नंगे पांव चला 
तब जाना आंगन गीला है 
लगता है मौसम आज 
कुछ बदला बदला है..!!

आसमान से गिरकर बूंदे 
उसके चेहरे पर पड़ी 
क्या बताऊं उस घड़ी 
कैसे खुद को संभाला है 
लगता है मौसम आज 
कुछ बदला बदला है...!!! 





Subodh Rajak 
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Friday, June 12, 2020

Hindi poem - Galiyan/गलियां

Hindi poem - Galiyan/ गलियां 
Hindi poem galiyan

गलियां 

एक दिन यूहीं गुज़रा उन गलियों से 
वही पुरानी फूल झांक रही थी डालियों से 
जब पड़ा उसमें सुबह का धूप 
खिल उठा उसका सुंदर रूप 
दिल क्यों उलझ पड़ा उन कलियों से 
एक दिन यूहीं गुजरा उन गलियों  से..!

वो खुशबू, मन लुभाती है 
वो रंग,दिप कई जलाती है 
रोशन है वो अंधेरी गली 
ये रास्ते मंजिलें बताती है 

मंत्र मुग्ध हो गया सुनकर जो संगीत 
बजी है न जाने किन उंगलियों से 
एक दिन यूहीं गुजरा उन गलियों से..!! 

धीरे धीरे बढ़ रही थी कदमों की डोर 
खिंच रही थी एक लकीर 
ये लकीर कोई धागा था या कुछ और 
हम उलझ गए उसमें न मिला कोई छोर 

खिलते देख उन कलियों को 
भंवरों ने स्वागत किया तालियोें से 
एक दिन यूहीं गुजरा उन गलियों से..!!

गिर कर बढाई थी शोभा राहों की 
जिन राहों पर हम गुजरें 
या खुदा सुलाना मुझे उस जमीं पर 
जिस कब्र पर वो बिखरे!

छुपा के आंसू गुजरा जिन महफिलों से 
एक दिन यूं हीं गुजरा उन गलियें से..!!! 





Subodh Rajak 
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Thursday, June 11, 2020

Hindi poem -Coffee / कॉफी..


Hindi poem - Coffee / कॉफी 

Hindi poem coffee

Hindi poem - Coffee / कॉफी 


एक कप कॉफी पीना चाहता हूँ 
दिन भर तो मरता रहता हूँ 
जीने की यहां, फुर्सत कहां 
बस पांच मिनट जीना चाहता हूँ 
एक कप कोफी पीना चाहता हूँ..!

रेस तो यहां दिल और जिन्दगी का है 
न कोई जीत पाया है न कोई हारा है 
और ये गोल धुमाने वाली दुनिया 
न मेरा है न तुम्हारा है 

कोई मिले तो सही 
इन सब को बनाने वाले का 
पता पुछना चाहता हूँ 
दो मिनट साथ बैठकर 
एक कप कॉफी पीना चाहता हूँ..!! 

कॉफी पीने से मन ताजा लगता है 
बोझ दिमाग का आधा लगता है 
शरीर में फुर्ती हो तो 
सब कुछ अच्छा लगता है 

वैसे तो मैं बहुत कुछ करना चाहता हूँ 
फिलहाल थका हूँ !
एक कप कॉफी पीना चाहता हूँ..!!! 






Subodh Rajak 
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Tuesday, June 9, 2020

Hindi poem - Dil hai musafir/ दिल है मुसाफ़िर

Dil hai musafir / दिल है मुसाफ़िर ( This is heart Mr.) 

Dil hai musafir / दिल है मुसाफ़िर (This is heart Mr.) 

पुराना दिल है मुसाफ़िर 
दिल का सौदा क्या करना 
लेकिन.. 
अपना भी दिल टूटा है 
फिर मना क्या करना ..!

पुराना ये खिलौना है 
देखा इसने जमाना है 
गिर गिर कर इसने सिखा 
खुद को कैसे बचाना है !

पुराना खिलौना है मुसाफ़िर 
टूटने पर क्या रोना 
और टूटे दिल का 
सौदा क्या करना !
लेकिन.. 
अपना भी दिल टूटा है 
फिर मना क्या करना..!! 



Subodh Rajak 
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Saturday, June 6, 2020

Hindi poem - Muskan / मुस्कान (smile)

Muskan  मुस्कान

Muskan /मुस्कान 

ये मुस्कान 
जो तेरे होटों पर निकल आई है 
कहां से आई है? 
कहीं से तो आई होगी 
इतना स्वादिष्ट व्यंजन 
किसी ने तो पकाई होगी! 

ये पंखुड़ियां 
जो आकर यहां बिखर गई है 
अंकूर इसका 
कहीं न कहीं खिला होगा 
किसने सींचा होगा इसे? 
सौन्दर्य जल 
कहीं न कहीं से मिला होगा !

ये दरिया रस का 
किस मुहाने से निकल आई है?
ये मुस्कान 
जो तेरे होठों पर निकल आई है 
कहां से आई है? 




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Friday, June 5, 2020

Hindi poem - Paudha / पौधा (plant)

Paudha / पौधा (plant) 
Plant poem

Paudha/ पौधा (plant) 

माली बाबा  माली बाबा 
मैं पौधा तेरी लगन का 
मैं भी तेरी बेटी हूँ 
फूल हूँ तेरी आँगन का 

अभी मैं बहुत छोटी हूँ 
फूल नहीं हैं मेरे पास 
कल मैं बड़ी हो जाउंगी 
मुझको भी बियाह देना 
तुम किसी वृक्ष के साथ...!!




Subodh Rajak 
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Hindi poem - Ek najar / एक नज़र

Ek Najar / एक नज़र 

Hindi poem ankhon ki nasha  आंखों की नशा

Ek Najar / एक नज़र 



तेरे ख़्यालों में जीते हैं, तन्हा तन्हा रहते हैं 
जब पास तुम होती हो, खुद से बातें करते हैं 

जब नजरें तेरी, कहीं और होती है 
तेरे चेहरे को हम देखा करते हैं 
नजरें हमारी बस में नहीं रहता 
गालों से उतर कर होंठो पर आ रूकते है 

वैसे तो हम दूर तुमसे रहते हैं 
पर उस घड़ी इतने करीब तेरे होते हैं 
तेरे ख़्यालों में जीते हैं, तन्हा तन्हा रहते हैं.. 

मदहोश करता है नजरों का झुकना 
और तेरा चुपके - चुपके मुस्कुराना 
जब भी आता हूँ थोड़ा करीब तेरे 
सुनाई देता है तेरा दिल का धड़कना

जब खिड़की से धूप गिरती है तेरे बदन पर 
पास तुम्हारे आ कर, धूप सेंका करते हैं 
तेरे ख़्यालों में जीतें हैं, तन्हा तन्हा रहते हैं..

जो नशा तेरे आंखों में बसता है 
हल्का हल्का मुझपे बरसता है 
भीग कर तेरी बाहों में
मन जाने को तरसता है 

तेरे सांसो की आंच में, हम तपा करते हैं 
तेरे ख़्यालों में जीते हैं, तन्हा तन्हा रहते हैं..!!





Subodh Rajak 
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Tuesday, June 2, 2020

Hindi poem - kagaj aur kalam / कागज और कलम

Hindi poem

कागज और कलम 

अब कलम की याद नहीं आती 
कागज खुद को 
मोड़ माड़ के समेट लिया है

कविता लिखने का मोर्चा 
मोबाइल ने संभाल लिया है..!

कागज और कलम का मिलना 
एक गुजरा 
जमाना हो गया है 
उन दोनो की chemistry 
अब history बन गया है 

पौधों का जीवन बच जाए इसलिए 
खुद को उसने संभाल लिया है

कविता लिखने का मोर्चा 
मोबाइल ने संभाल लिया है..!! 








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Hindi poem - Aatma / आत्मा

  आत्मा   =========== रूकी हवा में  गहरी खामोशी  काली रात में  टहल रहा है कोई  पैरों के निशां नहीं है उसके हवा रोशनी वस्तु चींजे  सब पार हो ...