Friday, June 5, 2020

Hindi poem - Ek najar / एक नज़र

Ek Najar / एक नज़र 

Hindi poem ankhon ki nasha  आंखों की नशा

Ek Najar / एक नज़र 



तेरे ख़्यालों में जीते हैं, तन्हा तन्हा रहते हैं 
जब पास तुम होती हो, खुद से बातें करते हैं 

जब नजरें तेरी, कहीं और होती है 
तेरे चेहरे को हम देखा करते हैं 
नजरें हमारी बस में नहीं रहता 
गालों से उतर कर होंठो पर आ रूकते है 

वैसे तो हम दूर तुमसे रहते हैं 
पर उस घड़ी इतने करीब तेरे होते हैं 
तेरे ख़्यालों में जीते हैं, तन्हा तन्हा रहते हैं.. 

मदहोश करता है नजरों का झुकना 
और तेरा चुपके - चुपके मुस्कुराना 
जब भी आता हूँ थोड़ा करीब तेरे 
सुनाई देता है तेरा दिल का धड़कना

जब खिड़की से धूप गिरती है तेरे बदन पर 
पास तुम्हारे आ कर, धूप सेंका करते हैं 
तेरे ख़्यालों में जीतें हैं, तन्हा तन्हा रहते हैं..

जो नशा तेरे आंखों में बसता है 
हल्का हल्का मुझपे बरसता है 
भीग कर तेरी बाहों में
मन जाने को तरसता है 

तेरे सांसो की आंच में, हम तपा करते हैं 
तेरे ख़्यालों में जीते हैं, तन्हा तन्हा रहते हैं..!!





Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

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