Wednesday, April 29, 2020

Hindi poem - Sukun / सुकून



सुकून 

दूर हो के तुमसे ओ अजनबी 
दिल को ना सुकून है 
बंजारा सा दिन है 
तन्हा सा रात है 
जिन्दा नहीं मैं 
पर  धड़कनें महफूज हैं 
दूर हो के तुमसे ओ अजनबी 
दिल को ना सुकून है 

दो पल के मिलन में 
जीवन का संसार था 
ऐहसास के राख में 
बुझा बुझा सा प्यार था 

कैसे रहुं खुशनुमा 
ओ साथी तेरे बिना 
दिल मैहरूम है 
दूर हो के तुमसे ओ अजनबी 
दिल को ना सुकून है 

रूक जा रे दिल 
ये धड़कनें बेकसूर है 
भुला दे उसे तू 
फिर माफ तुझे हर खून है 
दूर हो के तुमसे ओ अजनबी 
दिल को ना सुकून है 

ना सुकून है.. ना सुकून है.. 







                        © Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

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आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है!  पुनः पधारे, धन्यवाद  !!


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