Wednesday, June 3, 2020

हाल - ए - उर..

Hindi poem

हाल - ए - उर 

हाल - ए - उर न जाने हुज़ूर 
विरह का दर्द है जरूर 
दिल का है क्या जाने कसूर 
हाले - ए - उर न जाने हुज़ूर ..!

महफिल महफिल दिल लूटा 
बेहरमी से फिर टूटा 
जाने क्या है उसे मंजूर 
हाले - ए - उर न जाने हुज़ूर..!! 

आंखे काजल काजल 
होंट लगे शबनमी 
उसके आहट से 
सांसे करे मनमानी 

बाहों में लेता उसे जरूर 
पर थी वो हमसे दूर 
हाले - ए - उर न जाने हुज़ूर..!!

बहती काजल के निशां 
हाल दिल का बता दिया 
शायद मेरे याद में उसने 
खुद को ही भूला दिया 

बैठा हूँ महफिल में दूर - दूर 
नजरें भी ना मिले 
क्यों है दिल इतना मजबूर 
हाल - ए - उर न जाने हुज़ूर..!!!








Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

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आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है !पुनः पधारे! धन्यवाद!! 



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