Hindi poem - Antim patra / अंतिम पत्र
अंतिम पत्र
छाँव मिला नहीं किसी छत्र में
दो शब्द छूट गया अंतिम पत्र में
मुजरिम उसका
अकेलापन था
घूट - घूट कर जिया
वो हर क्षण था
चेहरे की रौनक दिखी
होंटो की मुस्कान दिखी
पर न दिखा
जो उसका
खाली मन था
घूट - घूट कर जिया
वो हर क्षण था
मन घूटता है उसके हिज्र में
दो शब्द छूट गया अंतिम पत्र में..!!
Subodh Rajak
SUBODH HINDI COMPOSITIONS
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आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है! पुनः पधारे
धन्यवाद!!
Very good ....
ReplyDeleteNice 👌👌👌
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteVery Nice
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