Wednesday, May 13, 2020

Hindi poem - Maa / माँ ( Mother )


माँ 
........................

मैं अकेला पड़ा 
राहों में खड़ा 
ढुंढती नजरें 
तुम हो कहां 
ओ मेरी माँ.. 

इस धूप में 
जाऊं कहां 
छावं तेरे आंचल की 
पाऊं कहां.. 

सूनी धरती 
सूनी है आसमां 
आओ न माँ 
तुम हो कहां.. 

मैं तेरे चरणों की 
धुल से रहूं लिपटा 
मैं अकेला पड़ा 
राहों में खड़ा 
ढूंडती नजरें 
तुम हो कहां 
ओ मेरी माँ..!! 

माँ मेरी जीवन की 
तुम हो दाता 
कैसे रहूं दूर मैं 
मुझको बता.. 

ममता के सागर में 
मुझको डूबा 
मैं अकेला पड़ा 
राहों में खड़ा 
ढुंढती नजरें 
तुम हो कहां.. 
ओ मेरी माँ...!!!





Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं! 

आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है!  पुनः पधारे, धन्यवाद  !!

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