Friday, May 29, 2020

Hindi poem - Tu khush hai /तू खुश है


तू खुश है 

आंसू बहेगा 
पसीना बहेगा 
रक्त भी बहेगा 
हर जख्म को दिल सहेगा

मांगेगा चैन दो घड़ी
नहीं मिलेगा 

तप्ती गरमी में झुलसेगा 
तड़पेगा कंठ एक बूंद खातीर 
वो गंदा जल भी 
नहीं मिलेगा 

ये " कल "
ये कल क्या चीज है 
जानना चाहता है? 
तो सून 

वो काम 
जो तू आज नहीं कल करेगा 

जब लक्ष्य के दरवाजे पर 
तू हाजीर होगा 
तेरा लक्ष्य बोलेगा 
जा यहां से कल मिलेगा 

सड़क पर दो कौड़ी का 
सड़ा हुआ फल 
देखकर बोलेगा 
जाओ आना कल 

मुसीबत में लोग 
घर पर नहीं होते 
जाना होगा कल 

लोगोंं की दिल में चुभेगा 
पर पीछा छुटेगा कल 

ये " कल " की शुरुआत 
जाने अंजाने 
हम ही कर बैठते हैं 

इसलिए अगर 
आंसू बहता है 
पसीना बहता है 
रक्त भी बहता है 
हर जख्म को दिल सहता है 

नहीं मिलता 
चैन दो घड़ी 

कोई बात नहीं 
तू खुश है
तू खुश है..!
तू खुश है...!! 






Subodh Rajak 
SUBODH HINDI COMPOSITIONS 

हमारी रचनाएं पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक में जा कर मेरे ब्लोग में पढ़ सकते हैं! 

आपके आने से मेरा मनोबल बढ़ा है! पुनः पधारे !धन्यवाद !!



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